कश्मीर ही नहीं आप अपने शहर में भी आसानी से कर सकते हैं सेब की खेती,लेकिन वैज्ञानिकों के इन बातों को करना होगा फॉलो

सेव की मांग हमेशा बनी रहती है और सेव की खेती बड़े पैमाने पर और भारत में की जाने लगी है। पहले हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर में सेब की खेती होती थी लेकिन अब बिहार मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी बड़े पैमाने पर सेव की खेती होने लगी है।

सेब एक ऐसा फल है जिसकी मांग हमेशा बनी रहती है और इसका मांग बने रहने के साथ साथिया फल काफी महंगा बिकता है। सेब में कई तरह के विटामिंस पाए जाते हैं जो कि कई बीमारियों से आपको बचाते हैं।

कश्मीर ही नहीं आप अपने शहर में भी आसानी से कर सकते हैं सेब की खेती,लेकिन वैज्ञानिकों के इन बातों को करना होगा फॉलो

कश्मीर ही नहीं आप अपने शहर में भी आसानी से कर सकते हैं सेब की खेती,लेकिन वैज्ञानिकों के इन बातों को करना होगा फॉलो

आज हम आपको सेव की उन्नत खेती करने के बारे में जानकारी देने वाले हैं। सेव की उन्नत खेती के बारे में जानकारी करके आप इसकी खेती से कम समय में अमीर बन सकते हैं।

कश्मीर ही नहीं आप अपने शहर में भी आसानी से कर सकते हैं सेब की खेती,लेकिन वैज्ञानिकों के इन बातों को करना होगा फॉलो

सेब के लिए खेत की मिट्टी की नीचे कठोर सतह नहीं होनी चाहिए। ऐसे सेब के पौधों का विकास प्रभावित होता है। अगर आप सेब की खेती करना चाहते हैं ते खेत में तीन बार अच्छी तरह से जुताई करें। इसके बाद रोटावेटर चलाकर खेत की मिट्टी को भुरभुरा बनाएं। अब खेत को समतल बनाने के लिए ट्रैक्टर की सहायता से पाटा चलाएं। अब आपका खेत सेब की बागवानी के लिए तैयार है। अब आपको पौधरोपण करना होगा। पौधरोपण के लिए खेत में 10 से 15 फीट की दूरी पर 2 फीट गहरा गड्ढा बनाएं। इस गड्ढे में गोबर खाद और रासायनिक खाद डालकर अच्छे से मिलाएं। इसके बाद खेत की सिंचाई करें। आपको यह सब काम पौधरोपण से करीब डेढ़ महीने पहले करना है।

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सेब का पौधरोपण

सेब की बागवानी या खेती के लिए पौधे एक साल पुराने और बिल्कुल स्वस्थ होने चाहिए। सेब के पौधों का रोपण गड्ढों में किया जाता है। एक गड्ढे से दूसरे गड्ढे की दूरी और गहराई की जानकारी आपको ऊपर दे दी गई है। इन गड्ढ़ों के बीच एक छोटा सा गड्ढा तैयार कर उसे गौमूत्र से उपचारित करना चाहिए। इसके बाद सेब के पौधों का इन गड्ढों में रोपण करना चाहिए। रोपण के बाद जड़ों की नमी का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए गड्ढों में मिट्टी के साथ नारियल के छिलके भी डाल सकते हैं। पौधरोपण का उचित समय जनवरी व फरवरी माह है।

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इस समय पौधों को उचित वातावरण मिलता है, जिससे वे समुचित विकास करते हैं। सेब के पौधों के विकास के लिए जरूरी है कि पौधा ऐसी जगह पर हो जहां सूर्य का प्रकाश माह में औसत 200 घंटे पर्याप्त मात्रा में सीधे पौधे को प्राप्त हो। यहां आपको बता दें कि फूल खिलते समय मार्च माह से अप्रैल माह में बारिश का और तापमान में उतार-चढ़ाव का भी सेब उत्पादन पर वितरित प्रभाव पड़ता है।

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सेब की खेती में सिंचाई व्यवस्था
सेब की खेती के लिए पौधों का रोपण सर्दी के मौसम में किया जाता है। पौधा रोपण के तुरंत बाद पहली सिंचाई करनी चाहिए। सर्दी के महीनों में 2 से 3 बार सिंचाई जरूरी है। गर्मी के महीनों में प्रति सप्ताह सिंचाई करना जरूरी होता है। बारिश के मौसम में आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करनी चाहिए। कुल मिलाकर सेब की बागवानी में ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।

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सेब की खेती में उर्वरक और खाद प्रबंधन

सेब की खेती या बागवानी के लिए उर्वरक और खाद का प्रबंधन करने से पूर्व खेत की मृदा का परीक्षण कराना चाहिए। सामान्य उपजाऊ भूमि में सेब की खेती में प्रत्येक पेड़ के लिए दस किलोग्राम गोबर खाद, एक किलोग्राम नीम की खली, 70 ग्राम नाइट्रोजन, 35 ग्राम फास्फोरस और 720 ग्राम पोटेशियम की आवश्यकता होती है।

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पेड़ की आयु के अनुसार 10 साल तक खादों की मात्रा बढ़ाकर डालनी चाहिए। इसके अलावा एग्रोमीन या मल्टीप्लेक्स जैसे सूक्ष्म तत्वों का मिश्रण, कैल्शियम सल्फेट, जिंक सल्फेट, बोरेम्स आदि को मिट्टी की आवश्यकता के अनुसार समय समय पर देते रहना चाहिए। इससे फसल उत्पादन में वृद्धि होती है।

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