बासमती चावल के इन किस्मों की खेती करके आप बन सकते हैं अमीर, विदेशों में भी है इसकी मांग

बासमती चावल सुगंधित होता है और इससे त्योहारों में हर घर में बनाया जाता है. बासमती चावल की मांग सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बहुत ज्यादा देखने को मिलती है.

बता दें कि बासमती चावल को खाने में लोगों को काफी अच्छा लगता है क्योंकि यह एक तो सुगंधित होता है दूसरे इसके चावल के दाने काफी अच्छे होते हैं. पौष्टिकता से भरपूर बासमती चावल की मांग हर जगह देखने को मिलती है.

बासमती चावल की खेती करके आप कम समय में अमीर बन सकते हैं क्योंकि बासमती चावल की मांग विदेशों में भी देखने को मिलती है. आपको बता दें कि बासमती चावल की खेती करके आप बहुत जल्द अमीर बन सकते हैं क्योंकि बासमती चावल बहुत ही महंगी बिकती है.

बासमती चावल के इन किस्मों की खेती करके आप बन सकते हैं अमीर, विदेशों में भी है इसकी मांग

बासमती चावल के इन किस्मों की खेती करके आप बन सकते हैं अमीर, विदेशों में भी है इसकी मांग

बासमती धान की खेती में कई रोग लगते हैं. लेकिन इनमें से दो प्रमुख हैं. बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट (BLB) और ब्लास्ट जिसे गर्दन तोड़ भी बोलते हैं. इन दो रोगों से बचाव के लिए जो कीटनाशक इस्तेमाल किए जाते हैं वो चावल एक्सपोर्ट (Rice Export) में बाधक बन जाते हैं. बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. रितेश शर्मा का कहना है कि किसान उन किस्मों की बुवाई करें जो रोगरोधी हैं. ऐसी कोई किस्म नहीं है जो सभी रोगों से मुक्त हो, लेकिन अगर बीएलबी और ब्लास्ट से मुक्त होगी तो भी कीटनाशकों का न के बराबर इस्तेमाल करना पड़ेगा.

बासमती चावल के इन किस्मों की खेती करके आप बन सकते हैं अमीर, विदेशों में भी है इसकी मांग

बासमती की इन तीन किस्मों में नहीं लगेगा रोग

किसानों की इस समस्या से निपटने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा ने बासमती की तीन रोगरोधी किस्में (Disease Resistant Basmati Varieties) विकसित की हैं जो बीएलबी और ब्लास्ट रोगों से मुक्त हैं. इनमें कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं करना होगा. सिर्फ कम खाद और पानी का मैनेजमेंट करके रसायनमुक्त और ज्यादा पैदावार ली जा सकती है.

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पूसा बासमती-1885

इसकी नर्सरी 10 जून से 5 जुलाई तक डाली जा सकती है. औसत उपज 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है. इसे पूसा बासमती-1121 को सुधार कर तैयार किया गया है. यह बीएलबी और ब्लास्ट रोगरोधी किस्म है. इसे बोने से काटने तक 140 से 145 दिन का वक्त लगता है. एक्सपोर्ट के लिहाज से यह एक अच्छी किस्म साबित हो सकती है.

पूसा बासमती-1847

इसकी पौध 15 जून से 10 जुलाई तक डाली जा सकती है. पूसा बासमती 1847 को पूसा बासमती-1509 में सुधार कर तैयार किया गया है. इसे बोने से काटने तक 115 से 125 दिन तक का समय लगता है. इसमें आप 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार ले सकते हैं. यानी 1509 से 5 क्विंटल अधिक. इस किस्म में बीएलबी और गर्दन तोड़ रोग नहीं लगेगा.

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