₹6000 क्विंटल बिकता है काला गेहूं,काले गेहूं की खेती करके आप बन सकते हैं जल्द अमीर
काला गेहूं काफी खास माना जाता है क्योंकि यह कई तरह की बीमारियों को दूर करने में सहायक होता है. आप अगर काला गेहूं की खेती करेंगे तो आप कम समय में अमीर बन सकते हैं.
आपको बता दें कि काले गेहूं की खेती आज के समय में भारत के कई राज्यों में की जाने लगी है. इस गेहूं की खेती करने से किसानों को अधिक मुनाफा होता है यही वजह है कि आजकल किसान काले गेहूं की खेती करने में अधिक दिलचस्पी दिखाने लगे हैं. आप भी काले गेहूं की खेती करना चाहते हैं तो आपको कुछ बातों का खास ध्यान रखना होगा.
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काले गेहूं की खेती करते समय ध्यान रखनें योग्य बातें
काले गेहूं की खेती करने के लिए हमें कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ता हैं। वो बाते निम्नलिखित हैं:-
काले गेहूं की खेती : उपयुक्त मिट्टी
काले गेहूं की अच्छी उपज पा ने के लिए मिट्टी का पीएच मान 7 से 8 के मध्य होना चाहिए व समतल एवं अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त रहती है, लेकिन यह लवणीय व बंजर भूमि नहीं होनी चाहिए।
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काले गेहूं की खेती : खेत की तैयारी
काले गेहूं की खेती करने के लिए सबसे पहले खेत को मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करनी चाहिए, इसके बाद दो से तीन जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करना चाहिए, इसकी जुताई करने के बाद खेत में नमी रखने के लिए व खेत समतल करने के लिए पाटा लगाना अति आवश्यक है। पाटा लगाने से सिंचाई करने में समय व पानी दोनों की बचत होती है।
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काले गेहूं की खेती : बुवाई का तरीका
काले गेहूं की बुवाई सीडड्रिल मशीन से करने पर खाद एवं बीज की बचत की जा सकती है। काले गेहूं का उत्पादन सामान्य गेहूं की तरह ही होता है। किसान भाई अपने निकट के बाजार से इसके बीज खरीद कर बुवाई कर सकते हैं। पंक्तियों में बुवाई करने पर सामान्य दशा में 100 किलोग्राम तथा मोटा दाना 125 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की जरुरत होती है।
काले गेहूं की छिटकाव विधि से बुवाई में सामान्य दाना 125 किलोग्राम, मोटा-दाना 150 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर प्रयोग करना चाहिए। बुवाई से पहले बीजों का जमाव प्रतिशत अवश्य देख लें। राजकीय अनुसंधान केन्द्रों पर यह सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध है। यदि बीज जमाव प्रतिशत कम हो तो उसी के अनुसार बीज दर बढ़ा लें तथा यदि बीज प्रमाणित न हो तो उसका शोधन अवश्य करें। इसके लिए बीजों का कार्बाक्सिन, एजेटौवैक्टर व पी.एस.वी. से उपचारित कर बुवाई करना चाहिए। कम सिंचाई साधन उपलब्धता वाले क्षेत्रों में रेज्ड वेड विधि से बुवाई करने पर सामान्य दशा में 75 किलोग्राम तथा मोटा दाना 100 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए