Kheti kisani 2024:किसानों को होंगा जबरदस्त फायदा चने की खेती,से जानें इसे करने का तरीका
Kheti kisani 2024: किसानों को होंगा जबरदस्त फायदा चने की खेती से जानें इसे करने का तरीका चना एक प्रमुख दलहनी फसल है,जिसे दलहनों का राजा भी कहा जाता है.भारत में बड़े पैमाने पर चने की खेती की जाती है.यह रबी सीजन की फसल है,जिसकी खेती ठंडी जलवायु में की जाती है.बेहतर पैदावार के लिए मिट्टी में नमी का होना भी जरूरी है,इसलिए जल निकास वाली हल्की या भारी मिट्टी सबसे उपयुक्त रहती है.हालांकि,खारे और क्षारीय मिट्टी में भी चने का अच्छा उत्पादन किया जा सकता है.जलधारण क्षमता वाली मिट्टी चना की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है.कम लागत में इससे बहुत अच्छा उत्पादन मिलता है.
Kheti kisani 2024:किसानों को होंगा जबरदस्त फायदा चने की खेती से जानें इसे करने का तरीका
चने की अच्छी पैदावार लेने के लिए समय-समय पर कृषि कार्य करना आवश्यक होता है.कृषि वैज्ञानिकों ने बीमारी रहित और स्वस्थ उत्पादन के लिए चना उगाने वाले किसानों के लिए एक सलाह जारी की है.कृषि विशेषज्ञों द्वारा जारी किए गए इन सुझावों को अपनाकर किसान चने का बंपर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.
अच्छी पैदावार के लिए आवश्यक कार्य
फूल आने से पहले आवश्यकतानुसार सिंचाई करें.सर्दियों में बारिश न होने पर,चने की फसल की ऊपरी शाखाओं को तोड़ना बहुत जरूरी काम है.जैसे ही ये शाखाएं 15-20 सेंटीमीटर की ऊंचाई तक पहुंच जाएं,इन्हें तोड़ दें.इससे इनका विकास रुक जाता है और शाखाओं का अधिक विकास होता है.इससे प्रति पौधा फूलों और पत्तियों की संख्या बढ़ जाती है,जिससे पैदावार बढ़ती है.कटुआ कीट के नियंत्रण के लिए 50 मिली Cyper Matherin 25 EC को 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में छिड़काव करें या 10 किलो 0.4% फेनवालेरेट पाउडर प्रति एकड़ में छिड़काव करें.
फली छेदक कैटरपिलर को नियंत्रित करने के लिए,200 मिली मोनोक्रोटोफॉस 36 SL को 100 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ में तब छिड़काव करें,जब पौधों पर एक मीटर की दूरी में एक कैटरपिलर दिखाई देने लगे और 50% पौधे संक्रमित हो जाएं.फसल की कटाई तब करें जब फलियां पक जाएं और पौधा सूखने लगे.दलहनी फसलों की कटाई दरांती से जमीन की सतह से 4-5 सेंटीमीटर ऊपर से करनी चाहिए.
चना उत्पादन बढ़ाने के उपाय
रोग मुक्त खेतों में ही अनुशंसित किस्मों की खेती करें.बुवाई से पहले बीजों का उपचार राइजोबियम कल्चर से करें.खाद को पोरा के माध्यम से और बीजों को केरा के माध्यम से बोना चाहिए.फली छेदक कीट का उचित प्रबंधन होना चाहिए.खेत को खरपतवार से मुक्त रखना चाहिए और खरपतवार नियंत्रण का प्रबंध करना चाहिए.
चना की फसल में सिंचाई कब करें
अगर पानी की उपलब्धता है और सर्दियों में बारिश नहीं हुई है,जिसकी वजह से मिट्टी में नमी की कमी है,तो चने की पहली सिंचाई बुवाई के 40 से 50 दिन बाद की जा सकती है.दूसरी सिंचाई 70-75 दिन बाद कर देना फायदेमंद होता है.फूल आने की अवस्था में सिंचाई नहीं करनी चाहिए, वरना फूल झड़ने का खतरा रहता है.साथ ही खरपतवार उगने की समस्या भी बढ़ जाती है.चने की सिंचाई स्प्रिंकलर विधि से करना बेहतर होता है.इससे कम पानी में ज्यादा क्षेत्र की सिंचाई हो जाती है.इसके इस्तेमाल से 40 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है.
यह भी पढ़े Dhaan ki kheti:धान की खेती कर किसानों की चमकेंगी किस्मत होंगी बंपर कमाई,जानें इसे करने का तरीका
चने की अच्छी पैदावार के लिए कितनी मात्रा में खाद और उर्वरक का इस्तेमाल करें
चने की लेट खरीफ फसल में 40 किलो ग्राम नाइट्रोजन,40 किलो ग्राम फॉस्फोरस,20 किलो ग्राम पोटाश और 20 किलो ग्राम सल्फर का प्रयोग करना चाहिए.बुवाई से पहले इसे खेत की मेड़ों में डालना फायदेमंद होता है.जिन क्षेत्रों में जिंक की कमी है,वहां चने की फसल में 20 किलो ग्राम जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करना चाहिए. देर से बोई गई फसल में शाखा या फली बनते समय 2 प्रतिशत यूरिया या डीएपी के घोल का छिड़काव करने से अच्छी पैदावार होती है.
चने की ब्लाइट बीमारी का प्रबंधन कैसे करें
Kheti kisani 2024:किसानों को होंगा जबरदस्त फायदा चने की खेती से जानें इसे करने का तरीका
चने की फसल में कई बीमारियां होती हैं. इनमें से चने की ब्लाइट बीमारी प्रमुख है.इससे बचाव के लिए प्रति हेक्टेयर 1000 लीटर पानी में 2.0 किलो ग्राम जिंक मैंगनीज कार्बेमेन्ट घोल बनाकर 10 दिन के अंतराल पर दो बार छिड़काव करें. इसके अलावा आप क्लोरोथैलोनिल 70 प्रतिशत डब्ल्यू.पी. / 300 ग्राम प्रति एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12 प्रतिशत + मैनकोजेब 63 प्रतिशत डब्ल्यू.पी./ 500 ग्राम प्रति एकड़ या मेटीराम 55 प्रतिशत + पायरोक्लोरोस्ट्रोबिन 5 प्रतिशत डब्ल्यू.जी. / 600 ग्राम प्रति एकड़ को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं.जैविक उपचार के रूप में ट्राइकोडर्मा विरिडे / 500 ग्राम प्रति एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस / 250 ग्राम प्रति एकड़ का छिड़काव किया जा सकता है.