अमरूद की खेती के समय किसान इन बातों का रखें ध्यान,वरना हो सकता है भारी नुकसान

अमरूद की खेती:भारत में अमरूद का पौधा काफी ज्यादा उगाया जाता है क्योंकि अमरुद हर महीने में काफी पसंद किया जाता है. आपको बता दें कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में काफी ज्यादा अमरूद उगाया जाता है और अमरूद के पौधों का काफी मान्यता भी यहां पर देखा जाता है.

वैसे तो हर जगह अमरुद उगाया जाता है लेकिन इलाहाबाद में जो अमरुद उगाई जाती है उसका बात अलग ही होता है. इलाहाबाद में उगाया जाने वाला अमरुद काफी बड़े साइज का होता है और इसमें मिठास भी बहुत ज्यादा होती है.

अमरूद की खेती के समय किसान इन बातों का रखें ध्यान,वरना हो सकता है भारी नुकसान

आज के समय में वैज्ञानिक तरीकों से लोग खेती करते हैं जिसके कारण लोग अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं. अभी अगर अमरूद की खेती करते हैं तो आपको कई बातों का ध्यान रखना होगा वरना आप को भारी क्षति हो सकती है.

अमरूद की खेती करते समय सबसे पहले खरपतवार नियंत्रण वाली बात को ध्यान में रखना होगा.आपको बता दें कि खरपतवार के कारण आपकी अमरूद की फसल को काफी नुकसान हो सकता है और आपको काफी ज्यादा क्षति का सामना करना पड़ सकता है.

अमरूद की खेती के समय किसान इन बातों का रखें ध्यान,वरना हो सकता है भारी नुकसान

अमरूद के पौध की देखभाल 

कटाई और छंटाई – अमरूद के पौध की मजबूत और सही वृद्धि के लिए कटाई और छंटाई की जरूरत होती है। कटाई -छंटाई से इसके पौध के तने मजबूत होते हैं। जितना मजबूत तना होगा, उतनी ही पैदावार अधिक एवं अच्छी गुणवत्ता से भरपूर होगी। पौधे की उपजाऊ क्षमता क्षमता बनाए रखने के लिए फलों की पहली तुड़ाई के बाद पौधे की हल्की छंटाई करनी जरूरी है। सूख चुकी और बीमारी आदि से प्रभावित टहनियों की कटाई समय समय पर करनी चाहिए। इस तरह कटाई के बाद को नई टहनियों को अंकुरण में सहायता मिलती है

अमरूद की खेती के समय किसान इन बातों का रखें ध्यान,वरना हो सकता है भारी नुकसान

खाद व उर्वरक का प्रयोग – अमरूद के पौध की रोपाई करने से पहले 5 से 6 मीटर की दूरी रखते हुए इसके लिए गड्ढ़े तैयार करें। गड्ढ़े तैयार करने के बाद इसमें पौध की रोपाई से पहले 200 से 300 ग्राम सड़ी गोबर की खाद डालें। साथ ही इसमें नीम की खती का भी इस्तेमाल करें और इसके साथ आप रासायनिक खाद जैसे यूरिया और पोटाश की उचित मात्रा का प्रयोग करें। अमरूद का पौधा जब 1 से 3 वर्ष के हो जाएं तो इसमें 10 से 25 किलोग्राम देसी रूड़ी की खाद, 155 से 200 ग्राम यूरिया, 500 से 1600 ग्राम सिंगल सुपर फासफेट और 100 से 400 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति पौधे के हिसाब से प्रयोग करें। पौधा 4 से 6 वर्ष का होने पर इसमें 25 से 40 किलोग्राम रूड़ी (देसी खाद), 300 से 600 ग्राम यूरिया, 1 से 2  किलोग्राम सिंगल सुपर फासफेट 600 से 800 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति पौधे के हिसाब से डालनी चाहिए। रूड़ी (देसी खाद) की पूरी और यूरिया, सिंगल सुपर फासफेट और म्यूरेट ऑफ पोटाश की आधी खुराक को मई से जून और दोबारा सितंबर से अक्टूबर महीने में डालनी चाहिए।

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पौधों की सिंचाई – अमरुद का पौधा शुष्क जलवायु वाला होता है, इसलिए इसकी फसल को कम सिंचाई की आवश्यकता होती है। इसकी पहली सिंचाई पौधे की रोपाई के तुरंत बाद करें एवं दूसरी सिंचाई 3 से 5 दिन के बाद करें। इसके बाद मौसम और मिट्टी में नमी के हिसाब से सिंचाई की आवश्यकता को देखते हुए समय-समय पर सिंचाई करें। यदि आप सर्दियों के मौसम में फसल प्राप्त करना चाहते हैं, तो उसके लिए आपको गर्मियों के मौसम में इसके पौधों को 3 से 4 बार पानी देना होता है। सर्दियो के मौसम में इसके पौधों को 2 सिंचाई की ही आवश्यकता होती है तथा बारिश के मौसम में इसके पौधों को 2 से 3 बार ही पानी देना होता है।

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