कम समय में अमीर बना देगी चने की खेती,चने की खेती करते समय इन बातों का रखें विशेष रूप से ख्याल

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चने की खेती :आज के समय में खेती किसानी का प्रचलन काफी तेजी से बढ़ने लगा है क्योंकि खेती किसानी से युवा अच्छी कमाई करने लगे हैं. रोजाना सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्ट पढ़ने को मिल ही जाते हैं जहां पर खेती किसानी कर के युवा कम समय में अधिक अमीर बन रहे हैं.

खेती किसानी के कारण कई युवा अपने जिंदगी में आगे बढ़ रहे हैं. आज के समय में रासायनिक विधि और वैज्ञानिक विधि के सम्मिलित होने से खेतों में अच्छी फसल उगने लगी है.

कम समय में अमीर बना देगी चने की खेती,चने की खेती करते समय इन बातों का रखें विशेष रूप से ख्याल

कम समय में अमीर बना देगी चने की खेती,चने की खेती करते समय इन बातों का रखें विशेष रूप से ख्याल

आज हम आपको चने की खेती की उन्नत तरीके के बारे में बताने वाले हैं. चने की खेती का यह उन्नत तरीका आपको बहुत ही कम समय में करोड़पति बना देगा और सबसे बड़ी बात तो यह है कि इससे आपको कम समय में अधिक कमाई भी होगी.

कम समय में अमीर बना देगी चने की खेती,चने की खेती करते समय इन बातों का रखें विशेष रूप से ख्याल

उत्तर भारत में बड़े पैमाने पर होती है चने की खेती

आपको बता दें कि उत्तर भारत में बड़े पैमाने पर चने की खेती की जाती है.इसके लिए 50 से 60 सेंटीमीटर बारिश की आवश्यकता होती है. आपको बता दें कि अच्छे तापमान और भरपूर बारिश में चने की फसल अच्छी होती है.

कम समय में अमीर बना देगी चने की खेती,चने की खेती करते समय इन बातों का रखें विशेष रूप से ख्याल

इस तरह की भूमि का करें चयन

चने की खेती हल्की सी भारी मिट्टी में की जाती है.इसके लिए ऐसा स्थान का चुनाव करना चाहिए जहां से आसानी से जल निकासी हो जाए नहीं तो चने का फसल खराब हो सकता है. आपको बता दें कि चने की खेती के लिए 5.5 से 7 पी एच मान वाला मिट्टी ज्यादा अच्छा होता है.

कम समय में अमीर बना देगी चने की खेती,चने की खेती करते समय इन बातों का रखें विशेष रूप से ख्याल

चने की देसी किस्मों की करें बुवाई

जी. एन. जी. 2171 (मीरा) :- इसकी फली में 2 या 2 से अधिक दाने पाए जाते हैं. ये किस्म लगभग 150 दिन में पक जाती है. इसकी औसत उपज 24 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक आंकी जाती है.

जी.एन. जी. 1958 (मरुधर) :- इसके बीज का रंग हल्का भूरा होता है, इसकी फसल 145 दिन में पक जाती है. इसकी औसत उपज 25 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक आंकी गई है.

जी.एन. जी. 1581 (गणगौर) :- इसके बीज का रंग हल्का पीला होता है. इसकी औसत उपज 24 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक आंकी गई है.

आर. वी. जी . 202 :- इस किस्म के पौधे की ऊंचाई दो फीट से भी कम रहती है. इसपर पाले का असर कम पड़ता है. इसकी खेती करने पर आपको एक हेक्टेयर में 22 से 25 क्विंटल तक पैदावार मिलती है.

देसी चने की देरी से बोई जाने वाली किस्म

जी.एन. जी. 2144 (तीज) :- चने के इस किस्म की बुवाई दिसंबर के पहले सप्ताह तक की जा सकती है. बीज मध्यम आकार के हल्के भूरे रंग का होता है. इसकी फसल 130-135 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इसकी औसत उपज 23 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक मानी गई है.

जी. एन. जी. 1488 (संगम) :- इसके बीज भूरे रंग के होते हैं, सतह चिकनी होती है. यह 130 से 135 दिन में पक जाती है. इसकी खेती करने पर 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक का उत्पादन मिल जाता है.

असिंचित क्षेत्र के लिए चने की देसी किस्म

आर. एस. जी. 888 :- यह औसतन 21 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन देता है. यह किस्म तकरीबन 141 दिनों के अंदर पक कर तैयार हो जाती है.

काबुली चने की किस्म

जी.एन. जी. 1969 (त्रिवेणी) :- इसके दाने का रंग मटमैला सफेद क्रीम रंग का होता है. 146 दिन में यह पककर तैयार हो जाती है. इसकी औसत पैदावार 22 क्विंटल तक पाई जाती है.

जी. एन. जी. 1499 (गौरी) :- इसके बीज का रंग मटमैला सफेद होता है. इसकी फसल 143 दिन में पककर तैयार हो जाती है. औसत पैदावार 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है.

जी.एन. जी. 1292 :- यह किस्म लगभग 147 दिन में पक जाती है. यह झुलसा, एस्कोकाईटा ब्लाइट, शुष्क जड़गलन आदि रोगों के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है. इस फसल का औसत उत्पादन 23-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाता है.

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