बहुत कम समय में आपको करोड़पति बना देगी ईसबगोल की खेती, जानिए ईसबगोल की खेती करने का तरीका

ईसबगोल की खेती : आज के समय में लोग आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं और इसके लिए लोग नौकरी के साथ-साथ बिजनेस भी करना चाहते हैं. हमारे देश के अधिकतर लोग खेती किसानी पर निर्भर रहते हैं और हमारे देश में खेती-किसानी बड़े पैमाने पर की जाती है.

बात अगर ग्रामीण क्षेत्र की करें तो अधिकतर लोग खेती पर ही और पशुपालन पर निर्भर रहते हैं. कई ऐसे फसल होते हैं जो कम समय में आपको लखपति करोड़पति बना देंगे लेकिन इसकी खेती करते समय आपको कई जरूरी बातों का ध्यान रखना होता है नहीं तो थोड़ी सी लापरवाही आपके लिए बहुत ही ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है.

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आज हम बात करने वाले हैं इसबगोल की खेती के बारे में जिसकी मांग भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी काफी ज्यादा देखने को मिलता है. इसबगोल पेट के लिए काफी अच्छा होता है और साथ ही साथ इसका उपयोग कई तरह की दवाइयों को बनाने में भी किया जाता है. तो आइए जानते हम ईसबगोल की खेती करने के अच्छे तरीके के बारे में…..

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खेत की तैयारी
किसान ईसबगोल की खेती कर रहे है, तो खेत को अच्छी तरह तैयार करना आवश्यक है. इसके लिए खेत को खरीफ की फसल की कटाई के बाद दो से तीन जुताई करें और मिट्टी को भुरभरी बना लें. अगर खेत में दीमक की समस्या है, तो फॉरेट करीब 10 जी 20 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से अन्तिम बुवाई के समय भूमि में मिलाएं. इसके बाद खेत में पाटा चलाकर मिट्टी को समतल बना दें. जिससे पानी भराव न हो. बता दें कि इसके बीजों की रोपाई खेत में समतल और मेड दोनों पर की जाती है. इसलिए खेत में मेड पर रोपाई करने के लिए मेड तैयार कर लें.

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उन्नत किस्में
ईसबगोल की कई तरह की उन्नत किस्में होती हैं. जिनको फसल के पकने की अवधि और पैदावार के आधार पर तैयार किया जाता है. आप अपने अनुसार किस्म का चयन कर सकते है.

बीज की बुवाई
ईसबगोल की खेती में बीज को अक्टूबर से नवम्बर की बाच बोना चाहिए. इसके बीजों की बुवाई कतारों में की जाती है, जिनकी दूरी करीब 25 से 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए. बीज को करीब 3 ग्राम थाईरम प्रति किलोग्राम के हिसाब से उपचारित करें और बीजों को मिट्टी में मिला लें. इसके बाद बुवाई करनी चाहिए.

पौधों की सिंचाई
ईसबगोल की खेती करते वक्त पौधों को सिंचाई की अधिक जरूरत नहीं पड़ती है. बस बीजों की रोपाई के बाद हल्की सिंचाई कर दें. अगर बीजों के अंकुरण की मात्रा कम है, तो खेत में करीब 4 से 5 दिन बाद एक बार हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए. इससे बीजों का अंकुरण ठीक से हो जाता है. बीजों के अंकुरण के बाद पहली सिंचाई करीब 30 से 35 दिन बाद करें. तो वहीं दूसरी सिंचाई, पहली सिंचाई के करीब 20 से 30 दिन बाद करें.

फसल की कटाई
जब बालियां लाल और हाथ से मसलने पर दाना अलग होने लगे, पौधों की कटाई करनी चाहिए. इसकी बालियों की हर 2 से 3 दिन में तुडाई कर लेनी चाहिए. सात ही बालियों को तोड़कर एक स्थान पर रखें. पौधों की कटाई के लिए सुबह का उच्त रहता है, क्योंकि इस समय बालियों से बीज काफी कम मात्रा में झड़ते हैं. किसान भाई इसके दानो को मशीनों से भी निकाल सकते हैं, क्योंकि इसकी भूसी भी काफी अच्छी होती है. इसका उपयोग पशुओं के चारे के लिए किया जाता है.

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