जब AC और कूलर नहीं थे, तब भी लोग घर रहते थे ठंडे – जानिए 5 देसी उपाय


जब AC और कूलर नहीं थे, आज के समय में बिना एसी और कूलर के गर्मियों की कल्पना करना मुश्किल हो गया है। जैसे ही गर्मी का मौसम शुरू होता है, लोग बिजली से चलने वाले उपायों की तरफ दौड़ते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जब ये आधुनिक तकनीकें नहीं थीं, तब लोग कैसे रहते थे? दरअसल, हमारे पूर्वजों के पास कुछ बेहद साधारण लेकिन प्रभावी देसी तरकीबें थीं जिनसे वे गर्मियों में भी आराम से रह लेते थे। आइए जानते हैं ऐसे ही 5 देसी उपाय जो आज भी उतने ही कारगर हैं।


जब AC और कूलर नहीं थे, तब भी लोग घर रहते थे ठंडे – जानिए 5 देसी उपाय

जब AC और कूलर नहीं थे

मोटी दीवारें और ऊंची छतें

पुराने जमाने के घरों में अक्सर देखा जाता था कि दीवारें काफी मोटी और छतें ऊंची होती थीं। इसकी वजह यह थी कि मोटी दीवारें बाहरी गर्मी को अवरुद्ध कर देती थीं, जिससे अंदर का तापमान ठंडा बना रहता था। वहीं, ऊंची छतों से गर्म हवा ऊपर की ओर चली जाती थी और नीचे का हिस्सा ठंडा बना रहता था। यह वास्तुशास्त्र के साथ-साथ प्राकृतिक तापमान नियंत्रण का भी बेहतरीन उदाहरण है।


मिट्टी की दीवारें और छतें

ग्रामीण इलाकों में आज भी मिट्टी से बने घर मिल जाते हैं। मिट्टी में प्राकृतिक रूप से थर्मल इन्सुलेशन होता है, जिससे ये गर्मियों में ठंडे और सर्दियों में गर्म रहते हैं। मिट्टी की दीवारें न केवल सस्ती होती थीं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित होती थीं। ऐसे घरों में पंखे की भी जरूरत कम पड़ती थी।


खिड़कियों और दरवाज़ों की रणनीति

जब AC और कूलर नहीं थेखास तरीके से बनाई गईं खिड़कियां और झरोखे भी गर्मियों में ठंडक बनाए रखने में मदद करते थे। दिन में जब धूप तेज होती थी, तब खिड़कियों पर भीगे हुए परदे या टाट लगाए जाते थे, जिससे हवा ठंडी होकर कमरे में आती थी। इसी तरह, दक्षिण दिशा की खिड़कियों को बंद रखा जाता था ताकि धूप सीधे घर में न घुसे।


छत पर पानी छिड़कना

शहरों में भी पुराने मकानों की छत पर दोपहर के समय पानी छिड़कने की परंपरा थी। पानी के वाष्पीकरण (evaporation) से छत का तापमान काफी कम हो जाता था और नीचे कमरे में भी ठंडक बनी रहती थी। यह तरीका बेहद सस्ता और प्रभावी था और आज भी कई घरों में इस्तेमाल होता है।


पेड़-पौधों और आंगन का सहारा

पुराने घरों के आंगन में अक्सर पेड़-पौधे लगाए जाते थे, जैसे तुलसी, नीम या आम का पेड़। ये पेड़ घर के चारों तरफ प्राकृतिक छाया और नमी प्रदान करते थे, जिससे तापमान नियंत्रित रहता था। इसके अलावा, मिट्टी के फर्श पर पानी डाला जाता था जिससे ठंडी हवा का प्रभाव बढ़ जाता था।


नतीजा – देसी उपाय, आधुनिक राहत

जब AC और कूलर नहीं थे यह कहना गलत नहीं होगा कि हमारे पूर्वजों ने बिना किसी बिजली की खपत के भी गर्मियों से लड़ने के बेहतरीन तरीके अपनाए थे। आज के दौर में जबकि बिजली की खपत बढ़ती जा रही है और वातावरण प्रदूषित हो रहा है, ये देसी तरीके फिर से अपनाने की जरूरत है। इससे न सिर्फ बिजली की बचत होगी, बल्कि हमें एक प्राकृतिक, सस्टेनेबल और सस्ता समाधान भी मिलेगा।

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