कटहल की ये उन्नत किस्में किसानों की किस्मत,चमका देंगी मिलेगा बंपर उत्पादन,जानें इसे करने का तरीका
कटहल को विश्व का सबसे बड़ा फल भी कहते हैं।देश में कटहल की बड़े पैमाने पर खेती होती है।इसका पूर्ण विकसित पौधा कई वर्षो तक पैदावार देता है।कटहल का इस्तेमाल फल और सब्जी दोनों के रूप में किया जाता है।
कटहल की ये उन्नत किस्में
कटहल में कई तरह के पोषक तत्व भी पाए जाते है,जैसे आयरन,कैल्शियम, विटामिन ए, सी, और पौटेशियम बड़ी मात्रा में उपलब्ध होता है,जो कि मानव शरीर के लिए लाभदायक भी है।आइये जानते हैं कटहल की कुछ उन्नत किस्मो के बारे में।
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कटहल की “सिंगापुरी किस्म” किस्म
सिंगापुरी किस्म के पौधों को पके हुए फलो के लिए अधिक उपयुक्त माना जाता है।इसके पौधे रोपाई के 7 से 10 साल बाद पैदावार देने के लिए तैयार हो जाते है। इसके पोधों से निकलने वाले फलों का गूदा देखने में पीला और स्वाद में मीठा होता है।इसके फल का वजन सात से 10 किलो तक का होता है।
कटहल की “स्वर्ण पूर्ति” किस्म
कटहल की स्वर्ण पूर्ति किस्म सब्जी के लिए उपयुक्त माना जाता है।इसके फल छोटे आकार के कम रेशे और बीज वाले होते हैं।ये किस्म उच्च पैदावार देने के लिए जाना जाता है। इसके फल पकने के बाद सफेद,मुलायम और रसीले हो जाते हैं।
कटहल की “खजवा” किस्म
खजवा किस्म के फल जल्दी पक जाते हैं।यह ताजे पके फलों के लिए एक उपयुक्त किस्म है।कटहल की यह किस्म अधिक पैदावार वाली होती है। इसके एक फल का वजन 25 से 30 किलो होता है।
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कटहल की “स्वर्ण मनोहर” किस्म
छोटे आकार के पेड़ में बड़े-बड़े एवं अधिक संख्या में फल देने वाली यह एक उम्दा किस्म हैं। इसका 15 वर्ष पुराना पौधा भी अधिकतम 5 मीटर तक ही लम्बा हो पाता है,किन्तु इसके पौधो पर लगने वाले फलो की मात्रा अधिक पाई जाती है। फल लगने के 20-25 दिन बाद इसके एक पेड़ से 45-50 कि.ग्रा. फल सब्जी के लिए प्राप्त किया जा सकता है।