कृषि विश्वविद्यालय ने जारी की सलाह,किसान 11 जून तक करें यह काम
देश में मानसून के आने में देरी हो सकती है, वहीं खरीफ फसलों की बुआई का समय नजदीक आ रहा है। ऐसे में विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के द्वारा किसानों के लिए साप्ताहिक सलाह जारी की जाती है। जिससे किसान खेती में लागत को कम करके अधिक मुनाफ़ा कमा सकते हैं। इस कड़ी में डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि महाविद्यालय पूसा, समस्तीपूर बिहार द्वारा राज्य के किसानों के लिए 11 जून तक की अवधि के लिए विशेष सलाह जारी की है।
कृषि विश्वविद्यालय ने जारी की सलाह,किसान 11 जून तक करें यह काम
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कृषि विश्वविद्यालय ने अपनी सलाह में बताया है कि उत्तर बिहार के अनेक जिलों में अभी हीट वेब की स्थिति बनी हुई है जो आगे भी जारी रहेगी। इस दौरान राज्य में अधिकतम तापमान 40-42 डिगी सेल्सियस के बीच रह सकता है वहीं न्यूनतम तापमान 24-27 डिग्री सेल्सियस तक रह सकता है। इस परिस्थिति में किसान अभी क्या कृषि कार्य करें यह जानकारी कृषि विश्व विद्यालय ने अपने परामर्श में बताई है।
कृषि विश्वविद्यालय ने जारी की सलाह,किसान 11 जून तक करें यह काम
धान की खेती करने वाले किसान क्या करें
जिन किसान भाई के पास सिंचाई की उचित व्यवस्था है वैसे किसान धान का विचड़ा बीजस्थली में लगाने का काम शुरू कर सकते हैं। 10 जून तक लम्बी अवधि वाले धान का विचड़ा गिराने के उपयुक्त समय है। राजश्री, राजेंद्र, मंसुरी, राजेंद्र, स्वेता, किशोरी, स्वर्णा सब-1, वी.पी.टी.-5204 एवं सत्यम आदि लम्बी अवधि वाले धान की अनुशंसित क़िस्में हैं। वहीं 10 से 25 जून तक मध्यम अवधि वाले धान का विचड़ा बोने के लिए अनुकूल समय है।
मक्का की खेती करने वाले किसान क्या करें?
वहीं राज्य के ऐसे किसान जो मक्का की फसल लेने वाले हैं वे किसान मक्का की अनुशंसित क़िस्में जैसे सुआन, देवकी, शक्तिमान-1, शक्तिमान-2, राजेंद्र संकर मक्का-3, गंगा-11 की बुआई करें। बुआई के समय प्रति हेक्टेयर 30 किलो नत्रजन, 60 किलो स्फुर एवं 50 किलो पोटाश का व्यवहार करें। प्रति किलोग्राम बीज को 2.5 ग्राम थीरम द्वारा उपचारित कर बुआई करें। बीज दर 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखें। बुआई पूर्व खेत में पर्याप्त नमी की जाँच कर लें।
प्याज की खेती करने वाले किसान क्या करें?
ऐसे किसान जो खरीफ सीजन में धान की खेती करना चाहते हैं वे किसान प्याज की खेती के लिए नर्सरी (बीज स्थली) की तैयारी करें। स्वस्थ पौध के लिए नर्सरी में गोबर की खाद अवश्य डालें। छोटी-छोटी उथली क्यारियों, जिसकी चौड़ाई एक मीटर एवं लंबाई सुविधानुसार रख सकते हैं। खरीफ प्याज के लिए एन-53, एग्रीफ़ाउंड डार्क रेड, अर्का कल्याण, भीमा सुपर क़िस्में अनुशंसित है। बीज गिराने के पहले किसान बीजों का उपचार अवश्य करें। बीज दर 8-10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखें। किसान भाई बीज प्रमाणित स्त्रोत से ही ख़रीदें।
हल्दी एवं अदरक की खेती करने वाले किसान क्या करें?
जो किसान हल्दी एवं अदरक की खेती करना चाहते हैं वे हल्दी एवं अदरक की बुआई करें। हल्दी की राजेंद्र सोनिया, राजेंद्र सोनाली क़िस्में तथा अदरक की मरान एवं नदिया क़िस्में उत्तर बिहार के लिए अनुशंसित है। हल्दी के लिए बीज दर 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रखें। बीज प्रकंद का आकार 30-35 ग्राम जिसमें 3 से 5 स्वस्थ कलियाँ हो का उपयोग करें। रोपाई की दूरी 30*20 सेमी. रखें। बीज को उपचारित करने के बाद बुआई करें।
अभी किए जाने वाले अन्य कार्य
- किसान पशुओं के प्रमुख रोग एंथ्रेक्स, ब्लैक क्वार्टर (डकहा) एवं एचएस (गलघोंटू) से बचाव के लिए टीके लगावें।
- गरमा सब्ज़ियों जैसे भिंडी, नेनुआ, करैला, लौकी (कद्दू) खीरा की फसल में आवश्यकतानुसार सिंचाई एवं निकाई-गुड़ाई करें। कीट व्याधियों से फसल की बराबर निगरनी करते रहें। प्रकोप दिखने पर अनुशंसित दवा का छिड़काव करें।