12/22/2024

Mungfhali ki kheti:किसानों को मालामाल कर देंगी ये मूँगफली की खेती,जानें पुरी जानकारी

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Mungfhali ki kheti:किसानों को मालामाल कर देंगी ये मूँगफली की खेती,जानें पुरी जानकारी मूँगफली न सिर्फ खाने में स्वादिष्ट होती है, बल्कि ये किसानों के लिए भी कमाई का एक बेहतरीन जरिया है.इसमें भरपूर मात्रा में पोषण पाया जाता है. भारत में ज्यादातर लोग मूँगफली का सेवन करना पसंद करते हैं. मूँगफली में विटामिन ई, प्रोटीन, फोलेट, मैग्नीशियम और फाइबर अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं. मूँगफली से तेल, मक्खन, चॉकलेट और कई तरह की मिठाइयां बनाई जाती हैं. अगर आप भी कम समय में खेती करके ज्यादा कमाई करना चाहते हैं तो मूँगफली की खेती आपके लिए बेहतरीन विकल्प हो सकती है. इसकी खेती से अच्छी कमाई करने के लिए उन्नत किस्मों के बीजों और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल जरूरी है.

Mungfhali ki kheti:किसानों को मालामाल कर देंगी ये मूँगफली की खेती,जानें पुरी जानकारी

मूंगफली की खेती से बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं किसान, बाजार में भरपूर  डिमांड, जानें उगाने का तरीका - mungfali ki kheti peanut farming tips ground  nuts cultivation tricks to ...

भारत में मूँगफली की खेती

बता दें कि भारत के अलावा मूँगफली का मुख्य उत्पादन चीन और अमेरिका में होता है.इसके अलावा भारत में भी कई राज्यों में इसकी खेती की जाती है,लेकिन प्रमुख रूप से इसकी खेती राजस्थान, महाराष्ट्र,गुजरात, कर्नाटक,आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में होती है. मूँगफली की फसल मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में बहुत मदद करती है,जिससे दूसरी फसलों की पैदावार भी काफी बढ़ जाती है. मूँगफली की खेती से करीब 4 महीने में फसल प्राप्त हो जाती है.

अच्छी पैदावार के लिए मूँगफली की खेती कैसे करें

मूँगफली की फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए खेत की 3 से 4 जुताई करवा लेनी चाहिए. मिट्टी को समतल करने के बाद खेत में जरूरत के हिसाब से जैविक खाद, उर्वरक और पोषक तत्वों का इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि आपको अच्छी पैदावार मिल सके. जब खेत तैयार हो जाएं, तब आपको मूँगफली की बुवाई के लिए सही तरीके से बीज तैयार करने चाहिए, ताकि फसल में कोई बीमारी या कीड़े ना लगें. बुवाई के लिए आपको उन्नत किस्म के बीजों का ही चुनाव करना चाहिए. बुवाई के लिए आपको 60 से 70 किलो बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से इस्तेमाल करने चाहिए.

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मूँगफली की सिंचाई

गौर करने वाली बात ये है कि मूँगफली की फसल बारिश के सहारे ही तैयार होती है, इसलिए इसे किसान कम पानी वाली फसल के नाम से भी जानते हैं. तेज बारिश से पहले खेतों में जल निकास की व्यवस्था कर लेनी चाहिए, ताकि खेतों में पानी भर ना जाए. अगर खेतों में पानी ज्यादा भर जाता है, तो फसल में लगने वाले कीड़े-मकोड़ों और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. कम बारिश होने पर ही सिंचाई करनी चाहिए.

खरपतवार नियंत्रण और रोगों की रोकथाम

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मूंगफली की खेती | इफको बाज़ार

मूँगफली की फसल में ज्यादा खरपतवार उग आते हैं,जो न सिर्फ पौधे की ग्रोथ को रोकते हैं बल्कि पैदावार की गुणवत्ता को भी प्रभावित करते हैं. मूँगफली बुवाई के करीब 20 दिन बाद और 35 दिन बाद खेत की गुड़ाई करनी चाहिए और खेत में उगे हुए खरपतवारों को निकाल देना चाहिए. आपको अपनी फसल पर लगातार नजर रखनी चाहिए ताकि किसी भी तरह की बीमारी या कीटों का पता चलते ही उनका उपचार किया जा सके. इसके अलावा हर 15 दिन के अंतराल पर जैविक कीटनाशकों का इस्तेमाल करना चाहिए।

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