November 22, 2024

Phalsa Ki Kheti:गर्मी के दिनों में बहुत ही फायदेमंद होता है ये फल,किसानों को मालामाल कर देंगी ये फल की खेती

Phalsa Ki Kheti:गर्मी के दिनों में बहुत ही फायदेमंद होता है ये फल,

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Phalsa Ki Kheti:गर्मी के दिनों में बहुत ही फायदेमंद होता है ये फल,किसानों को मालामाल कर देंगी ये फल की खेती गर्मी को मिटाने वाला फल फलसा की खेती कैसे करें पूरी जानकारी, फलसा एक भारतीय मूल का फल है,जो गर्मियों में ठंडक पहुंचाने का काम करता है.सूखा सहने वाला ये पौधा शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में उगाया जाता है.फलसा की खेती किसानों के लिए काफी मुनाफे वाली साबित हो सकती है.इसकी खेती मुख्य रूप से भारत,पाकिस्तान और बांग्लादेश में की जाती है. हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसान देश में फलसा की खेती करते हैं.

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पोषण और औषधीय गुणों से भरपूर होने के बावजूद,फलसा कम उगाई जाने वाली फसलों में आता है और भारत में इसकी खेती छोटे पैमाने पर ही की जा रही है.फलसा का इस्तेमाल ताजे फल और जूस के रूप में किया जाता है.इसके गूदे में प्रोटीन,विटामिन,अमीनो एसिड,फाइबर और कई खनिज लवण पाए जाते हैं,जो पोषण के लिए बहुत उपयोगी होते हैं.इसके अलावा, फलसा के पौधे के अन्य भाग,जैसे पत्तियां, तना और जड़ आदि का भी उपयोग किया जाता है.इनका उपयोग ईंधन,लकड़ी,घरेलू जानवरों के चारे और पारंपरिक दवाओं के लिए किया जाता है.

जलवायु और मिट्टी

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फलसा उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्रों में उगने के लिए उपयुक्त होता है. इसके फलों के पकने के साथ-साथ रंग विकास और गुणवत्ता में सुधार के लिए पर्याप्त धूप और गर्म तापमान की आवश्यकता होती है.इसकी खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है.30 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले क्षेत्रों में किसान फलसा की खेती कर सकते हैं.इस पौधे को अच्छी जल निकासी वाली भूमि में उगाया जा सकता है.इसकी खेती के लिए कार्बनिक पदार्थों से भरपूर दोमट या बलुई मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है.फलसा की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.1 से 6.5 होना उपयुक्त माना जाता है.

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फलसा की बुवाई और उपयुक्त समय

फलसा की बुवाई के लिए इसके बीज या कटिंग का उपयोग किया जाता है.इसके बीजों को 24 घंटे पानी में भिगोने के बाद बोया जाता है.अगर किसान इसे कटिंग से लगाते हैं, तो इसके पौधे तैयार करने के लिए आपको पौधे से लगभग 20 से 25 सेमी लंबी स्वस्थ्य शाखाओं को काटना होगा और उन्हें बोना होगा.फलसा लगाने का सबसे उपयुक्त समय मानसून यानी जुलाई-अगस्त के दौरान माना जाता है.किसानों को इसे लगाने से लगभग एक महीने पहले खेतों में 60x60x60 सेमी गहरे गड्ढे खोदने चाहिए और उन्हें मिट्टी के साथ गीली गाय के गोबर की खाद से भरना चाहिए.किसानों को पौधों को लगभग 3×2 या 3×1.5 मीटर (पंक्ति x पौधा) की दूरी पर लगाना चाहिए. पौधे लगाने के बाद मिट्टी में पौधों की स्थिरता बनाए रखने के लिए सिंचाई करनी चाहिए.

खाद और उर्वरक प्रबंधन

फलसा की खेती किसान बिना खाद और उर्वरकों के भी कर सकते हैं,लेकिन अच्छी पैदावार के लिए खेतों में खाद और उर्वरकों का इस्तेमाल करना चाहिए.किसान अपने खेतों की उपजाऊ शक्ति बनाए रखने के लिए हर साल 10 किलो सड़ी गोबर की खाद डालें. इसके अलावा,प्रति झाड़ी की दर से खेतों को हर साल 100 ग्राम नाइट्रोजन, 40 ग्राम फॉस्फोरस और 40 ग्राम पोटाश देना चाहिए.

फलसा के पौधे की सिंचाई

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