NEET PG कट ऑफ को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट ने जारी किया नये निर्देश,केंद्र को जारी किया नोटिस
Bengaluru(NEET PG)2023:NEET PG कट ऑफ को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट ने जारी किया नये निर्देश राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा कट ऑफ परसेंटाइल को जीरो तक कम करने को चुनौती देने वाली याचिका के संबंध में उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।
केंद्र को जारी किया नोटिस
मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बालचंद्र वराले और न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने हुबली स्थित डॉक्टर और वकील डॉ. विनोद
Bengaluru(NEET PG)2023: राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा कट ऑफ परसेंटाइल को जीरो तक कम करने को चुनौती देने वाली याचिका के संबंध में उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बालचंद्र वराले और न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने हुबली स्थित डॉक्टर और वकील डॉ. विनोद जी कुलकर्णी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। दलीलें सुनने के बाद पीठ ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (एमसीसी) और अन्य उत्तरदाताओं को नोटिस जारी किया और सुनवाई स्थगित कर दी।
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पिछले 10 वर्षों से नीट पीजी कटऑफ अंक 50 फीसदी था। लेकिन, एमसीसी ने 20 सितंबर, 2023 को एक अधिसूचना जारी कर वर्ष 2023 के लिए एनईईटी-पीजी काउंसलिंग में उपस्थित होने के लिए कट ऑफ अंक शून्य कर दिया। एनईईटी पीजी के लिए उपस्थित होने वाले प्रत्येक उम्मीदवार को पीजी सीट मिल सकती है।
50 प्रतिशत कट ऑफ मार्क्स प्रणाली
सुप्रीम कोर्ट कई बार कह चुका है कि पीजी दाखिले के लिए सिर्फ योग्यता ही मानदंड होनी चाहिए। काउंसलिंग कट-ऑफ को शून्य करने से निजी मेडिकल कॉलेजों की पैरवी में और आसानी होगी। याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका में शिकायत की। एमसीसी द्वारा 20 सितंबर 2023 को जारी नीट पीजी पात्रता कट ऑफ अंक को शून्य करने की अधिसूचना को वापस लेने का निर्देश दिया जाना चाहिए। वहीं याचिकाकर्ता ने कोर्ट से अनुरोध किया कि काउंसलिंग को पिछली 50 प्रतिशत कट ऑफ मार्क्स प्रणाली के अनुसार आयोजित करने का आदेश दिया जाए।
सीट खाली रह जाती थीं, इसलिए हुआ फैसला
यह पहली बार है कि 2017 में अन्य सभी मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की जगह लेने के बाद से पात्रता कट-ऑफ को पूरी तरह से हटा दिया गया है। बता दे कि दो दौर की काउंसलिंग के बाद भी देश भर के मेडिकल कॉलेजों में 13,000 से अधिक सीटें वर्तमान में खाली हैं। जिसके बाद यह फैसला लिया गया।