चेरी की खेती : भारत के अधिकतर जनसंख्या खेती पर निर्भर करती है क्योंकि खेती किसानी से लोग अपने घर का खर्चा चलाते हैं और साथ ही साथ बहुत सारे ऐसे लोग भी हैं जो खेती किसानी के माध्यम से ही आज करोड़पति बन गए हैं.
खेती किसानी करने वाले किसानों की अधिकतम संख्या ग्रामीण क्षेत्रों में देखी जाती है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र के अधिकतर लोग खेती किसानी पर ही निर्भर करते हैं. ग्रामीण क्षेत्र के लोग खेती किसानी करने के लिए आज के समय में वैज्ञानिक विधि अपनाने लगे हैं जिसके कारण अब ग्रामीण क्षेत्र के किसान भी कम समय में अधिक पैदावार प्राप्त कर लेते हैं.
कम समय में अमीर बना देगी चेरी की खेती, जानिए चेरी की खेती करने का तरीका



आपको बता दें कि युवाओं का रुझान भी आजकल खेती की तरफ काफी ज्यादा बढ़ने लगा है और युवा अपनी नौकरी छोड़कर आजकल खेती किसानी करने लगे हैं. कई ऐसे युवा आपको उदाहरण के तौर पर मिल जाएंगे जो खेती किसानी की तरफ आकर्षित होकर आज अपनी नौकरी छोड़कर खेती किसानी में लगे हैं और करोड़ों रुपए कमा रहे हैं.
आज हम आपको चेरी की खेती के बारे में बताने वाले हैं जो कि आपको बहुत ही कम समय में अमीर बना सकती है. चेरी की मांग सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बड़े तौर पर की जाती है और सबसे बड़ी बात यह है कि Cherry बहुत ही ज्यादा महंगी बिकती है.
चेरी मुख्यता शिमला उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में उगाई जाने वाली फसल है
चेरी की खेती करते समय आपको कई बातों का ध्यान
चाहिए क्योंकि थोड़ी सी भी और सावधानी आपके पूरे फसल को खराब कर सकती है और आपको बहुत बड़ी मुसीबत में डाल सकती है. सबसे पहले तो आपको cherry के लिए नाइट्रोजन युक्त खाद का उपयोग करना चाहिए क्योंकि नाइट्रोजन युक्त खाद्य चेरी के फसल के लिए काफी फायदेमंद होता है और साथ ही साथ फल को बढ़ाने में मदद करता है.
कम समय में अमीर बना देगी चेरी की खेती, जानिए चेरी की खेती करने का तरीका

चेरी के पौधों को बीज या जड़ कटाई के माध्यम से तैयार किया जाता है | ग्राफ्टिंग विधि द्वारा चेरी के पौधों को लगाना अच्छा होता है | बीजो के अंकुरण के लिए शीतल उपचार करते है | इसके बीजो को पूर्ण रूप से पके हुए फलो से निकाला जाता है | जिसके बाद इन्हे ठन्डे व सूखे स्थान पर संग्रहित किया जाता है, तथा एक दिन तक बीजो को विशेष रूप से भिगोकर रखना होता है |

पौधों को 15 से 20 CM ऊँची क्यारियों में लगाते है, जिसमे क्यारियों की चौड़ाई 105 से 110 CM तक होनी चाहिए | दो क्यारियों के मध्य 45 CM का अंतर रखा जाता है, तथा क्यारियों में लगाए गए पौधों के मध्य 15 से 25 CM की दूरी रखे | चेरी के पौधों की रोपाई के लिए ठंडियों का मौसम सबसे अच्छा होता है |

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चेरी के पौधों की सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण
चेरी के पौधों को अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं होती है, क्योकि पौधों की रोपाई ठंडी के मौसम में की जाती है, और कम समय में फसल भी तैयार हो जाती है | जिस वजह से इन्हे अधिक गर्म मौसम नहीं देखना पड़ता है | किन्तु सूखी जलवायु जहां पर उत्स्वेदन की क्रिया अधिक होती हो वहां पर इसके पेड़ो को पानी देना होता है |

गर्मी के प्रकोप को कम करने और नमी बनाए रखने के लिए मल्चिंग (पलवार बिछाना) अधिक लाभकारी सिद्ध होता है | खट्टी चेरी में अधिक मात्रा में उत्स्वेदन होता है, जिस वजह से इसे अधिक पानी की जरूरत पड़ती है |

चेरी की फसल में खरपतवार बिलकुल न होने दे | इसके लिए समय-समय पर खेत में खरपतवार दिखाई देने पर प्राकृतिक विधि से निराई-गुड़ाई करे |