कृषक अपने खेत में DAP की जगह इन उर्वरक का करे प्रयोग नहीं होगा फसल को कोई नुकशान होगा फायदा ही फायदा।
कृषक अपने खेत में DAP की जगह इन उर्वरक का करे प्रयोग नहीं होगा फसल को कोई नुकशान होगा फायदा ही फायदा।
कृषक अपने खेत में DAP की जगह इन उर्वरक का करे प्रयोग नहीं होगा फसल को कोई नुकशान होगा फायदा ही फायदा।
किसानों को नहीं मिल रहा डीएपी, कृषि मंत्री ने जारी किया संदेश, जानें पूरी डिटेल
इस समय देश में गेहूं और अन्य रबी फसलों की बुआई का काम जोरों पर चल रहा है. किसान मुख्य रूप से इन फसलों की खेती में डीएपी का प्रयोग करते हैं। लेकिन इन दिनों डीएपी की किल्लत किसानों को परेशान कर रही है। मांग की तुलना में डीएपी की उपलब्धता कम होने के कारण कई किसानों को डीएपी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में किसानों को फसलों के उत्पादन में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन अब किसानों को डीएपी नहीं मिलने से परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि फसल में डीएपी की कमी को पूरा करने के लिए किसान डीएपी की जगह अन्य खाद का इस्तेमाल कर सकते हैं. खास बात यह है कि ये खाद किसानों को बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाएगी और ये डीएपी से सस्ते भी हैं। आज ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से हम जानकारी दे रहे हैं कि फसलों में डीएपी के स्थान पर किन उर्वरकों का उपयोग किया जा सकता है, ताकि किसानों को गेहूं की खेती में कोई समस्या न हो। तो आइए जानते हैं गेहूं व अन्य फसलों में डीएपी की कमी को अन्य खाद से पूरा करने की पूरी जानकारी।
कृषक अपने खेत में DAP की जगह इन उर्वरक का करे प्रयोग नहीं होगा फसल को कोई नुकशान होगा फायदा ही फायदा।
डीएपी क्या है
DAP का फुल फॉर्म Di Ammonia Phosphate होता है। किसान गेहूँ, सरसों आदि की खेती में इस खाद का भरपूर प्रयोग करते हैं। यह क्षारीय प्रकृति की रासायनिक खाद है। डीएपी का उपयोग पौधों में पोषण के लिए नाइट्रोजन और फास्फोरस की कमी को पूरा करने के लिए किया जाता है। इसमें 18 प्रतिशत नाइट्रोजन, 46 प्रतिशत फॉस्फोरस होता है। पौधों को जिन पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, उनमें नाइट्रोजन फास्फोरस एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। डीएपी की खास बात यह है कि यह मिट्टी के संपर्क में आने के बाद अच्छे से घुल जाता है। इस प्रकार यह पौधों के जोड़ों के विकास में मदद करता है। इसके अलावा यह पादप कोशिकाओं के विभाजन में भी योगदान देता है। इससे पौधों का विकास ठीक प्रकार से होता है और फलस्वरूप फसल उत्पादन में वृद्धि होती है।
डीएपी के स्थान पर किस खाद के प्रयोग की सलाह दी जा रही है?
हरियाणा में किसानों को डीएपी खाद लेने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में यहां के कृषि मंत्री ने राज्य के किसानों को डीएपी की जगह अन्य खाद का इस्तेमाल करने की सलाह दी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि किसानों को गेहूं की बुवाई के लिए पर्याप्त मात्रा में डीएपी उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं. गेहूं की बिजाई में किसान डीएपी खाद की जगह एसएसपी व एनपीके का प्रयोग कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में राज्य में 23 हजार मीट्रिक टन डीएपी, 52 हजार मीट्रिक टन एसएसपी और 7 हजार मीट्रिक टन एनपीके स्टॉक के रूप में उपलब्ध है। गेहूं की बिजाई में डीएपी के स्थान पर अन्य खादों का भी प्रयोग किया जा सकता है। हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय की अनुशंसा के अनुसार फास्फोरस की आपूर्ति को पूरा करने के लिए डीएपी की एक बोरी या एसएसपी की 3 बोरी या एनपीके की डेढ़ बोरी का उपयोग किया जा सकता है। पिछले साल सितंबर से नवंबर तक प्रदेश में 2 लाख 78 हजार मीट्रिक टन डीएपी की बिक्री हुई थी। इस वर्ष सितंबर से नवंबर तक प्रदेश में 3 लाख 6 हजार मीट्रिक टन डीएपी की बिक्री हुई है। केंद्र सरकार द्वारा प्रदेश में प्रतिदिन 2 से 3 हजार मीट्रिक टन डीएपी, एनपीके उपलब्ध कराया जा रहा है। प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीनों के माध्यम से खाद की बिक्री सुनिश्चित की गई है।
कृषक अपने खेत में DAP की जगह इन उर्वरक का करे प्रयोग नहीं होगा फसल को कोई नुकशान होगा फायदा ही फायदा।
डीएपी की जगह एसएसपी और एनपीके का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है?
फसलों में डीएपी की जगह एसएसपी और एनपीके का इस्तेमाल किया जा सकता है। खासकर गेहूं की फसल में। क्योंकि डीएपी में मुख्य तत्व नाइट्रोजन और फास्फोरस होते हैं जो एसएसपी और एनपीके में पाए जाते हैं। ऐसे में डीएपी के स्थान पर इन खादों का इस्तेमाल किया जा सकता है। जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि एसएसपी एक फास्फोरस युक्त उर्वरक है, जिसमें 18 प्रतिशत फास्फोरस और 11 प्रतिशत सल्फर पाया जाता है। इसमें गंधक उपलब्ध होने के कारण यह खाद तिलहनी एवं दलहनी फसलों के लिए अन्य उर्वरकों की अपेक्षा अधिक लाभदायक है।
कृषक अपने खेत में DAP की जगह इन उर्वरक का करे प्रयोग नहीं होगा फसल को कोई नुकशान होगा फायदा ही फायदा।
इसी तरह NPK का मतलब नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम है। इस खाद में ये तीनों पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह बाजार में तीन अनुपात में बिकता है जिसे किसान अपनी आवश्यकता के अनुसार खरीद सकता है। इसके तीन तरह के पैकेट बाजार में आते हैं, जिन पर क्रमश: 18:18:18, 19:19:19 और 12:32:16 का अनुपात लिखा होता है। आमतौर पर किसान पोटैशियम की कमी को पूरा करने के लिए 12:32:16 NPK का इस्तेमाल करते हैं। इसका पहला अंक नाइट्रोजन के लिए, दूसरा अंक फॉस्फोरस के लिए और तीसरा अंक पोटैशियम के लिए होता है। इस अनुपात के उर्वरक में 12% नाइट्रोजन, 32% फॉस्फोरस और 16% पोटैशियम का मिश्रण होता है। एनपीके उर्वरक में फास्फोरस की मात्रा डीएपी की तुलना में 14 प्रतिशत कम पाई जाती है।
डीएपी की जगह कितनी मात्रा में एसएसपी का इस्तेमाल किया जा सकता है
प्रति बैग डीएपी में 23 किलो फास्फोरस और 9 किलो नाइट्रोजन होता है। डीएपी के विकल्प के रूप में 3 बैग एसएसपी और 1 बैग यूरिया का उपयोग किया जाता है, तो ये दोनों उर्वरक डीएपी की तुलना में कम लागत पर अधिक नाइट्रोजन और फास्फोरस प्रदान करते हैं, साथ ही दूसरे पोषक तत्व के रूप में सल्फर और कैल्शियम। भी प्राप्त किया जा सकता है।