गर्मियों में नींबू की खेती कर कमा सकते है लाखों रुपए,जानें इसे करने का तरीका
गर्मियों में नींबू की खेती कर कमा सकते है लाखों रुपए,गर्मियों में रहती है इस फल की काफी ज्यादा डिमांड! बिकता है सोने के भाव, आज ही शुरू करे इसकी खेती, गर्मी का मौसम शुरू होने वाला है ऐसे में सभी को निम्बू पानी की जरूरत पड़ती है अगर आप भी खेती करने के बारे में सोच रहे है तो हम आपके लिए लेकर आये है फायदे का सौदा जिससे आप लाखो रूपये कमा सकते है। नींबू (Lemon) एक बहुमुखी फल है जो खाने, पीने, और सफाई के लिए इस्तेमाल होता है। इसकी खेती भारत में कई राज्यों में सफलतापूर्वक की जाती है। तो चलिए जानते है निम्बू की खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी।
गर्मियों में नींबू की खेती कर कमा सकते है लाखों रुपए,जानें इसे करने का तरीका
नींबू की खेती: कैसी होनी चाहिए जलवायु और मिट्टी
निम्बू की खेती करने के सबसे पहले हम जलवायु और मिट्टी की बात करे तो निम्बू की खेती उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में की जाती है जहा का तापमान 15°C से 35°C तापमान के बीच में हो। इसके अलावा वहाँ की मिटटी निकासी वाली, हल्की से मध्यम दोमट होनी चाहिए जिससे निम्बू का उत्पादन अच्छे से हो। इसके अलावा मिटटी का PH मान 5.5 से 7.0 के बीच होना चाहिए।
नींबू की खेती: अलग-अलग किस्मे
कागजी नींबू: यह सबसे लोकप्रिय किस्म है,जिसमें रस की मात्रा अधिक होती है।
संतरा नींबू: यह किस्म मीठी होती है और इसका उपयोग जूस और सलाद में किया जाता है।
मौसमी: यह किस्म सर्दियों में फल देती है और इसका छिलका मोटा होता है।
गौला: यह किस्म साल भर फल देती है और इसका आकार छोटा होता है।
नींबू की खेती: कैसे करे रोपण
निम्बू की खेती कई प्रकार से की जा सकती है जैसे बीज,कलम या बुवाई से की जा सकती है।अगर आप कलम और बुवाई से करते है तो आपको निम्बू के पौधे जल्दी प्राप्त होते है। इसकी रोपण के लिए आपको 1 मीटर गहरा और 1 मीटर चौड़ा गड्ढा खोदना पड़ेगा जिसमे आपको गोबर की खाद और रासायनिक उर्वरक डालना पड़ेगा और फिर बाद में इस पौधे को रोपना पड़ेगा। फिर पानी देना होगा।
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नींबू की खेती: खाद और सिंचाई
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निम्बू के पौधों को समय-समय खाद देना जरुरी है जिससे कि इसकी उत्पादन में कोई कमी न आये। इसके अलावा इसमें गोबर की खाद, नीम की खली और रासायनिक उर्वरक का प्रयोग खाद के रूप में कर सकते है। इनकी सिचाई समय-समय पर होनी चाहिए। और खासकर गर्मी के हफ्ते में दो बार और ठण्ड में 10 दिनों में एक बार सिंचाई करें।