दुनिया का ऐसा गांव जहा सर्दियों में ढाई महीने धुप नहीं पहुंच पाती थी, गांव वालो ने मिलकर बना लिया अपना अलग सूरज अब रहती हमेशा रौशनी
Winter Fact:- दुनिया के कई इलाकों में महीनो तक धूप नहीं आता है. लेकिन एक गांव ने इसका ऐसा उपाय निकाला, जिसके बारे में कोई आम आदमी नहीं सोच सकता है. दरअसल सूर्य की रोशनी पाने के लिए इस गांव के लोगों ने अपना आर्टिफिशियल सूरज ही बना डाला है। इटली के इस गांव में सूरज तो उगता था, लेकिन लोकेशन कुछ ऐसी थी कि गांव के किसी भी हिस्से तक धूप नहीं पहुंचती थी।
दुनिया का ऐसा गांव जहा सर्दियों में ढाई महीने धुप नहीं पहुंच पाती थी, गांव वालो ने मिलकर बना लिया अपना अलग सूरज अब रहती हमेशा रौशनी
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धूप ना पहुंचना इस गांव के लिए बड़ी समस्या बन गया था। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए गांव वालों ने धरती पर ही सूरज को उतार लिया। दरअसल, उन्होंने धूप की ऐसी व्यवस्था की है, जिसे देखकर हर कोई कहता है कि उन्होंने अपने लिए अलग से सूरज बना लिया है। ये विगनेला गांव स्विट्जरलैंड और इटली के बीच मौजूद है। यहां 11 नवंबर से 2 फरवरी के बीच सूरज की रोशनी बहुत धीमी हो जाती है।
विगनेला गांव पहाड़ों के बीच बसा गांव है। इसलिए यहां पर ढाई महीने सूरज की सीधी रोशनी नहीं पहुंच पाती. इसका नतीजा ये हुआ कि स्थानीय लोगों को साइबेरिया जैसा अनुभव होता था. इस गांव में 200 लोग रहते हैं। इसके बाद साल 2005 में विगनेला के मेयर पियरफ्रैंको मिडाली की मदद से करीब 1 करोड़ रुपये जुटाए गए थे, फिर गांव के सामने के पहाड़ पर बहुत बड़े शीशे को लगाने का काम शुरू किया गया था. इसके बाद गांव वालों ने नवंबर 2006 तक 40 वर्ग मीटर का एक शीशा पहाड़ के ऊपर लगा लिया था। इसका वजन करीब 1.1 टन था, इसे 1100 मीटर की ऊंचाई पर लगाया गया था। बता दें कि ये कंप्यूटराइज्ड शीशा पूरे दिन सूरज की चाल को फॉलो करता है और घूमता है। ऐसे में ये शीशा करीब 6 घंटे गांव के एक हिस्से को रोशन करता है। सूर्य की रोशनी मिलने के बाद लोगों के स्वभाव में बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है।
दुनिया का ऐसा गांव जहा सर्दियों में ढाई महीने धुप नहीं पहुंच पाती थी, गांव वालो ने मिलकर बना लिया अपना अलग सूरज अब रहती हमेशा रौशनी
कैसे आया ये मिरर लगाने का विचार ?
1999 में विगनेला के आर्किटेक्ट जियाकोमो बोंजानी ने चर्च की दीवार पर एक धूपघड़ी लगाने का सुझाव दिया था। ये घड़ी सूर्य की स्थिति से समय बताती है. हालांकि तब के मेयर पियरफ्रेंको मिडाली ने सुझाव को खारिज कर दिया। इसके बाद उन्होंने बोंजानी से कुछ ऐसा बनाने को कहा, जिससे गांव में पूरे साल धूप रहे। यहां से बड़े आकार का शीशा लगाने की योजना पर काम होना हुआ था। हालांकि आर्टिफिशियल मिरर से मिलने वाली रोशनी प्राकृतिक धूप के बराबर गर्माहट तो नहीं देती, लेकिन मुख्य चौराहे को गर्म करने और घरों को रोशनी देने के लिए काफी है. बता दें कि इसके बाद 2013 में दक्षिण-मध्य नॉर्वे की एक घाटी में मौजूद रजुकन में भी ऐसा ही मिरर लगाया गया था।
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विगनेला गांव को रोशनी कैसे देता है विशालकाय मिरर
गांव वालों ने नवंबर 2006 तक 40 वर्ग मीटर का एक शीशा पहाड़ के ऊपर लगा लिया. इसका वजन 1.1 टन था. इसे 1100 मीटर की ऊंचाई पर लगाया गया था. शीशे पर धूप की रोशनी पड़ी, जिसे गांव की ओर रिफ्लेक्ट किया गया. शीशे का आकार बड़ा होने के कारण दिसंबर 2006 में पहली बार पूरे गांव को रोशनी मिली. शीशे का एंगल ऐसा सेट किया गया कि रोशनी से गांव के चर्च के सामने मौजूद चौक पर धूप रहे. ये कंप्यूटराइज्ड शीशा पूरे दिन सूरज की चाल को फॉलो करता है और घूमता जाता है. ऐसे में ये शीशा करीब 6 घंटे गांव के एक हिस्से को रोशन करता है।