गेहू की नई किस्म :वैज्ञानिको ने की नये गेहूं की शोध 40 क्विंटल तक देगा पैदावार इस किस्म से कास्तकार होगा माला मॉल।

गेहू की नई किस्म

जानें, कौनसी है गेहूं की यह नई किस्म और क्या है इसकी विशेषता और लाभ

गेहू की नई किस्म : डायबिटीज के मरीजों को खाने पीने में बेहद सतर्कता और सावधानी बरतनी पड़ती है। खासकर रोटी, चावल आदि में स्टार्च की मात्रा अधिक हो जाती है। स्टार्च की वजह से डायबिटीज मरीजों की मुश्किलें और बढ़ जाती है। लेकिन वैज्ञानिकों ने गेहूं की एक ऐसी नई किस्म की खोज की है जो डायबिटीज मरीजों के लिए रामबाण है। इस किस्म के गेहूं में सामान्य गेहूं की अपेक्षा कम स्टार्च होते हैं जिससे डायबिटीज मरीजों के लिए यह गेहूं अच्छा माना जा रहा है। देशभर में 13 लाख से भी ज्यादा डायबिटीज के मरीज हैं। अगर किसान इस किस्म के गेहूं की पैदावार (wheat yield) करें और इससे निर्मित आटे को शुगर फ्री आटे के तौर पर ब्रांडिंग करके बेचें तो किसानों की आय काफी बढ़ सकती है।

मार्केट में शुगर फ्री आटा, सामान्य आटे की तुलना में 3 से 4 गुना अधिक रेट में बिकते हैं। वैज्ञानिकों द्वारा खोजी गई गेहूं की यह किस्म अब तक की सबसे उन्नत किस्म है, जिसमें स्टार्च की मात्रा बेहद कम है। इसलिए किसान अब इस नई किस्म की खेती से काफी अच्छी पैदावार लेने के साथ अच्छी कीमत पर इस गेहूं को बेच सकते हैं। अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स साइट पर यह इस तरह का शुगर फ्री आटा 400 से 500 रुपए किलो तक बिक रहा है।

गेहू की नई किस्म : इस पोस्ट में हम शुगर फ्री गेहूं किस्म की खेती (Cultivation of sugar free wheat variety) के बारे में, किस्म की खासियत, खेती से होने वाली पैदावार और कमाई आदि के बारे में जानकारी दे रहे हैं।

कितना होगा डायबिटीज मरीजों को फायदा

गेहूं की यह किस्म शुगर के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद है। मार्केट में शुगर फ्री आटे की डिमांड काफी है, जबकि सप्लाई बेहद कम है। यही वजह है कि जरूरतमंद डायबिटीज मरीजों के लिए शुगर फ्री आटे की उपलब्धता नहीं हो पाती है और बहुत सारे डायबिटीज मरीज को सामान्य गेहूं का ही आटा मजबूरी में खाना पड़ता है। अगर किसान, ज्यादा मात्रा में गेहूं के इस किस्म की खेती करेंगे तो मरीजों के लिए आसानी से ये आटा उपलब्ध किया जा सकेगा। इस किस्म के गेहूं से डायबिटीज मरीजों के अलावा हृदय रोग से पीड़ित लोगों को भी लाभ होगा। यह आटा एक दवा के रूप में काम करेगा। चूंकि देशभर में 13 लाख से भी ज्यादा डायबिटीज मरीज हैं। वास्तविक आंकड़ा इससे भी कहीं ज्यादा है। जो सरकार के रिकॉर्ड में नहीं है। यही वजह है कि गेहूं की इस किस्म से ओवरऑल उपभोक्ताओं को काफी ज्यादा फायदा होने वाला है। इन मरीजों के लिए यह आटा रामबाण साबित होने वाला है।

कैसे और किसने की गेहूं के इस किस्म की खोज

गेहूं की इस नई किस्म की खोज पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने की। इस किस्म के गेहूं के आटा से मधुमेह या डायबिटीज मरीजों को काफी लाभ होगा। पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने जिस उन्नत किस्म की खोज की है, उसका नाम पीडब्ल्यूआरएस 1 है। 

कितना होगा स्वास्थ्य लाभ

पारंपरिक गेहूं के आटे में ग्लूकोज की मात्रा ज्यादा होती है। इसे खाने से डायबिटीज मरीजों के शरीर में ग्लूकोज तेजी से बढ़ता है। लेकिन गेहूं के इस किस्म के अनाज से बने आटे के सेवन से शरीर में ग्लूकोज की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ेगी और पाचन क्रिया भी धीरे-धीरे होगी। इस तरह शुगर के मरीजों में वजन बढ़ने की समस्या भी कम हो जाएगी। शरीर स्वस्थ रहेगा और कम खाने पर ही पेट भर जाएगा। जो इंसान 4 रोटी खाता है, उसका पेट 2 रोटी में ही भर जाएगा। इस तरह कम खाने से कई तरह के स्वास्थ्य लाभ मिलेंगे।

गेहूं की इस नई उन्नत किस्म पीडब्ल्यूआरएस 1 की खासियत

पीबीडब्ल्यू आरएस 1 (PBW RS1) में गेहूं की अन्य किस्मों की अपेक्षा 66 प्रतिशत लगभग स्टार्च है। इसमें 30.3% प्रतिरोधी स्टार्च है, जो शुगर के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है। इस किस्म की खासियत इस प्रकार है।

  • किसान भाई गेहूं की इस किस्म की बुआई 20 अक्टूबर से कर सकते हैं।
  • गर्मी का मौसम आने से पहले गेहूं की यह किस्म पक जाएगी। मार्च महीने इस गेहूं की कटाई शुरू की जा सकती है।

कितनी होगी पैदावार और कमाई 

गेहूं की पैदावार कई अन्य फैक्टर्स पर निर्भर करती है, जैसे मिट्टी की गुणवत्ता, कृषि कौशल, जलवायु आदि। लेकिन सामान्य तौर पर अगर देखा जाए तो गेहूं की पैदावार प्रति हेक्टेयर 50 से 80 क्विंटल तक होती है। गेहूं की इस किस्म की खेती कर किसान अच्छी पैदावार हासिल कर सकते हैं।

कमाई की बात करें तो इस किस्म के गेहूं को आटा बनाकर और ब्रांडिंग कर अमेजन या फ्लिपकार्ट जैसी वेबसाइट्स पर बेचा जाए तो इस गेंहू के आटे को 400 से 500 रुपए किलो तक बेचा जा सकता है। अगर बड़े पैमाने पर इसकी बिक्री की जाए तो औसतन प्रति किलो आटे का मूल्य 200 रुपए किलो भी मानें तो इस गेहूं की खेती (wheat farming) से करीब 1 करोड़ रुपए प्रति हेक्टेयर सालाना आमदनी होगी। जिसमें अगर लागत, श्रम, पैकेजिंग के रूप में 20 लाख रुपए कम भी कर दिया जाए तो सालाना 80 लाख रूपए की शुद्ध आमदनी होगी। अगर किसान इतना नहीं करके सिर्फ शुगर फ्री अनाज की बिक्री भी कर दें तो इस खेती से किसान 30 से 40 लाख रुपए रुपए प्रति हेक्टेयर सालाना आमदनी कर सकते हैं। ये आमदनी कम या ज्यादा हो सकती है, यह पूरी तरह बाजार मांग पर निर्भर करता है। 

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