November 22, 2024

High Court Decision : कोन होंगा पत्नी के नाम खरीदी गई जमींन का मालिक क्या है हाई कोर्ट फैसला ?

High Court Decision : कोन होंगा पत्नी के नाम खरीदी गई जमींन का मालिक क्या है हाई कोर्ट फैसला ?

High Court Decision : कोन होंगा पत्नी के नाम खरीदी गई जमींन का मालिक क्या है हाई कोर्ट फैसला ?

High Court Decision : भारतीय कानून के मुताबिक पति के जीवित रहते उसकी खुद से अर्जित की गई संपत्ति पर पत्नी का कोई अधिकार नहीं है। पति की मृत्यु के बाद ही पति की पत्नी का संपत्ति में हक होगा, लेकिन मरने से पहले अगर पति ने कोई वसीयत लिखी होगी, तो उसके ही आधार पर प्रोपर्टी का अधिकार  तय किया जाएगा। ्यानी अगर वसीयत में पत्नी का नाम नहीं होगा तो उसे संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलेगा।

High Court Decision : कोन होंगा पत्नी के नाम खरीदी गई जमींन का मालिक क्या है हाई कोर्ट फैसला ?

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अब सवाल है कि पत्नी के नाम पर खरीदी गई प्रोपर्टी पर किसका अधिकार होगा। इसी को लेकर हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने पति को घर से बेदखल करने की याचिका पर भी महत्वपूर्ण बात कही है।

जस्टिस वाल्मीकि जे. मेहता की बेंच ने एक व्यक्ति की अपील मंजूर करते हुए यह टिप्पणी की और ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसके अनुसार इस व्यक्ति से उन दो संपत्तियों पर हक जताने का अधिकार छीन लिया गया था, जोकि उसने अपनी पत्नी के नाम पर खरीदी थीं।इस व्यक्ति कोर्ट से की मांग थी उसे इन दो संपत्तियों का मालिकाना हक दिया जाए, जो उसने अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से खरीदी। इनमें से एक न्यू मोती नगर और दूसरी गुड़गांव के सेक्टर-56 में बताई गई है।

High Court Decision : कोन होंगा पत्नी के नाम खरीदी गई जमींन का मालिक क्या है हाई कोर्ट फैसला ?

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याचिकाकर्ता ने दावा किया कि इन दो संपत्तियों का असली मालिक वो है, न कि उनकी पत्नी जिसके नाम पर उसने ये दाेनों प्रोपर्टी खरीदी है। लेकिन ट्रायल कोर्ट ने बेनामी ट्रांजैक्शन ऐक्ट, 1988 के उस प्रावधान के आधार पर याचिकाकर्ता के इस अधिकार को जब्त कर लिया, जिसके तहत प्रोपर्टी रिकवर करने के अधिकार पर प्रतिबंध है।High Court ने कहा कि इस संशोधित कानून में साफ तौर पर बताया गया है कि बेनामी ट्रांजैक्शन क्या है और ऐसे कौन से लेनेदेन है जो बेनामी नहीं हैं।

हाईकोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में प्रॉपर्टी का पत्नी के नाम पर होना इस कानून के तहत दिए गए अपवाद में आता है। क्योंकि एक व्यक्ति को कानूनन इस बात की इजाजत है कि वो अपने आय के ज्ञात स्रोतों से अपने स्पाउज के नाम पर अचल संपत्ति खरीद सके और जिन परिस्थितियों में यहां संपत्ति खरीदी गई, इससे खरीदी गई प्रॉपर्टी बेनामी नहीं है, बल्कि मालिक यानी पति यानी याचिकाकर्ता की है, पत्नी की नहीं जिसके नाम पर वह संपत्ति खरीदी गई। लिहाजा, ट्रायल कोर्ट का संबंधित आदेश अवैध है।

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