इस शहर में है बरगद का 500 साल पुराना पेड़,विदेशो से भी आते हैं लोग देखने
हमारी संस्कृति और परंपराओं से समृद्ध देश है। यहां कोने-कोने में इतिहास के नायाब निशान देखने को मिलते हैं। चाहे वह प्राचीन किला हो, मंदिर हो या फिर महल। इनमें गौरवशाली अतीत की एक झलक देखी जा सकती है। इस बार विरासत एक्सप्रेस में हम आपको एक ऐसे बरगद के पेड़ के बारे में बताएंगे, जो आज से 500 साल पुराना है। यह पेड जितना पुराना है, उतनी दिलचस्प इसकी कहानी भी है।
इस शहर में है बरगद का 500 साल पुराना पेड़,विदेशो से भी आते हैं लोग देखने
आपने बरगद के पेड़ बहुत देखे होंगे, लेकिन उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर के नरोरा में यह पेड़ काफी पुराना है। लोग दूर-दूर से भारत की इस विरासत को देखने के लिए आते हैं। बता दें कि भारत में बरगद के पेड़ का बहुत महत्व है। हिंदू धर्म में इसे भगवान का दर्जा दिया गया है। यही वजह है कि लोग इसकी पूजा भी करते हैं। बरगद को कल्पवृक्ष भी कहा जाता है।
हिंदू धर्म में बरगद की धार्मिक मान्यता
हिंदू धर्म में बरगद के पेड़ की बहुत मान्यता है। कहते हैं कि सालों पहले रिषी मुनी इस पेड़ के नीचे बैठकर तपस्या किया करते थे। आज भी लोग दूर-दूर से इस वृक्ष की पूजा करने आते हैं। माना जाता है कि बरगद का पेड़ सैकड़ों साल तक जीवित रह सकता है। ऐसे में यह पेड़ भारत के गौरवशाली इतिहास को दर्शाता है।
यह पेड़ दुनिया का सबसे पुराना बरगद
यह पेड़ दुनिया का सबसे पुराना बरगद का पेड़ है। पेड़ का ऊपरी हिस्सा 4069 स्क्वायर मीटर में फैला है। वैज्ञानिकों ने रिसर्च में पाया कि इस पेड़ की कुल 4 जड़े हैं, जो इसके तने को सहारा दिए हैं। जबकि अगर बरगद के पेड के आकार की बात हो, तो भारत के आंध्र प्रदेश में एक पेड है, जिसे थिमम्मा मारीमानू कहते हैं। आपको जानकर हैरत होगी कि यह पेड़ 19 हजार स्कवायर मीटर में फैला हुआ है। वहीं गुजरात में भी कबीर बरगद नाम का पेड़ है, जो 17, 520 एकड़ में फैला है।