12/03/2024

कम समय में आपको लखपति बना देगी लाल मिर्च की खेती, जाने इसकी खेती करने का सही तरीका

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लाल मिर्च की खेती:मुख्यतौर पर मिर्च या लाल मिर्च उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय (मकर और कर्क रेखा से लगे हुए क्षेत्र) क्षेत्र की फसल है। यह फसल 20 से 25 डिग्री तापमान और थोड़ी गर्मी और नमी वाले वातावरण में बहुत अच्छा परिणाम देता है। वहीं, कोंपल या कली के खिलने, फल बनने के दौरान अगर मिट्टी में आर्द्रता की मात्रा कम हो तो इससे फसल को नुकसान पहुंचता है। वहीं, दूसरी ओर ज्यादा बारिश भी फसल को नुकसान पहुंचाती है जिससे पत्ते झड़ने लग जाते हैं और जड़ सड़ने लग जाता है। वर्षा सिंचित क्षेत्र में इसकी खेती के लिए वार्षिक बारिश का औसत 25 से 30 इंच है।

मिर्च खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी – –

मिर्च की खेती कई तरह की मिट्टी में हो सकती है लेकिन इसके लिए सबसे अच्छी काली मिट्टी है। यह मिट्टी नमी को लंबे समय तक बनाये रखने में सक्षम है। सिंचाई की सुविधा से युक्त उपयुक्त जल निकासी वाली मिट्टी, डेल्टा मिट्टी, बलुई मिट्टी भी इसके लिए अच्छी है। हालांकि

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में इसकी खेती कई तरह की मिट्टी में होती है जिसमें बजरी और मोटे दाने से मिश्रित रेत और चिकनी बलुई मिट्टी भी शामिल है।

मिर्च के बफर जोन का रख-रखाव – –

मिर्च की जैविक खेती में बफर जोन के लिए 7.5 से 15 मीटर की जगह छोड़ दी जाती है। इसमे फार्म की जगह किस तरह की है इसका भी ध्यान रखा जाता है। वहीं, इस तरह के बफर जोन से पैदा होने वाली फसल को ऑर्गेनिक या जैविक नहीं माना जाना चाहिए।

मिर्च की खेती के लिए भूमि और इसकी तैयारी – –

मिर्च की खेती सभी तरह की नर्म और बलुई मिट्टी में हो सकती है। इसमे भी खासकर अगर मिट्टी चिकनी बलुई, सख्त चिकनी, दोमट मिट्टी हो और अच्छी तरह से सूखी गैस से भरी हो तो और भी अच्छा परिणाम देती है। अम्लीय मिट्टी इस तरह की खेती के लिए अच्छी नहीं होती है।

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मिर्च की खेती के लिए जमीन को दो से तीन बार जुताई कर तैयार किया जाता है। हर जुताई के बाद खेत में मौजूद ढेले को तोड़कर अच्छी तरह से मिलाया जाता है। बुआई से 15 से 20 दिन पहले खाद या एफवाईएम @ 150-200 प्रति क्विंटल इस्तेमाल करना चाहिए। अंतिम जुताई के बाद मिट्टी में ओ.एच.सी.@ 8-10 किलोग्राम प्रति एकड़ और एल्ड्रीन या हेफटाफ @10-15 किलोग्राम प्रति एकड़ इस्तेमाल करना चाहिए। इसके इस्तेमाल से सफेद कीट और दूसरे घातक कीट से बचाव होता है।

पौधा रोपन और संवृद्धि – –

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बीज से ही मिर्च की उत्पत्ति होती है। नर्सरी या पौधा गृह के लिए एक अच्छी किस्म की बीज की जरूरत होती है जो विनाशकारी जीव और रोगों से लड़ने में सक्षम हो। बीज का चयन किसी मान्यता प्राप्त ऑर्गेनिक फार्म से बेहद सावधानी के साथ किया जाना चाहिए। या फिर बीज अपनी नर्सरी में कार्बनिक या जैविक तरीके उगाई गई हो। अगर इस तरह की बीज ना हो तो स्थानीय स्तर पर उपलब्ध दूसरी अच्छी 

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