Pravasi Bharatiya Sammelan: इंदौर से पीएम मोदी ने किया पूरे विश्व को संबोधित, बोले -पिछले कुछ वर्ष में भारत ने विकास की जो गति हासिल की वो अविश्वसनीय
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Pravasi Bharatiya Sammelan इंदौर में प्रवासी भारतीय सम्मेलन चल रहा है और आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंदौर आए हुए हैं. आज इंदौर से प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे विश्व को संबोधित किया और भारत के बढ़ते ताकत के बारे में बताया साथ ही साथ इंदौर की खूबसूरती के बारे में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी को बताया.
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Pravasi Bharatiya Sammelan: इंदौर से पीएम मोदी ने किया पूरे विश्व को संबोधित, बोले -पिछले कुछ वर्ष में भारत ने विकास की जो गति हासिल की वो अविश्वसनीय
आपको बता दें कि प्रवासी भारतीय सम्मेलन के लिए पूरे इंदौर को दुल्हन की तरह सजाया गया है और वैसे भी पूरे विश्व को पता है कि इंदौर विश्व का सबसे स्वच्छ शहर है. यहां की खूबसूरती देखने लायक है.
उन्होंने देश की सांस्कृतिक विरासत से लेकर तेजस-अरिहंत की ताकत का परिचय भी दुनिया को कराया. इंदौर में हो रहे इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में वो इस शहर की स्वच्छता औऱ स्वाद को याद करना भी नहीं भूले.
- पीएम मोदी ने कहा -चार वर्षों के बाद प्रवासी सम्मेलन भव्यता के साथ हो रहा है.अपनों से आमने सामने की मुलाकात और बात का अलग ही आनंद होता है.मैं 130 करोड़ भारतवासियों की ओर से स्वागत अभिनंदन करता हूँ. हर प्रवासी देश की माटी को नमन करने आया है. ये सम्मेलन जिस प्रदेश में हो रहा है उसे देश का हृदय क्षेत्र कहा जाता है. यहां मां नर्मदा का जल भी है और जंगल भी. यहां आध्यात्म और महाकाल का आशीर्वाद भी है. यहां इतना कुछ है जो आपकी यात्रा को अविस्मरणीय बनाएगा.
-अभी हम जिस शहर में है वो अपने आप में अद्भुत है.लोग कहते हैं कि इंदौर एक शहर है. मैं कहता हूं की इंदौर एक दौर है. जो समय से आगे चलता है फिर भी विरासत को समेटे रहता है. स्वच्छता में नंबर वन. खाने पीने में अपन का इंदौर दुनिया में लाजबाब है. इंदौरी नमकीन का स्वाद, पोहे का पेशन, साबूदाने की खिचड़ी, कच़ौड़ी, शिकंजी जिसने भी देखा उसके मुंह का पानी नहीं रुका. जिसने चखा उसने पीछे मुड़तकर नहीं देखा. 56 दुकान और सर्राफा भी प्रसिद्ध है. स्वच्छता के साथ स्वाद की भी ये राजधानी है. मुझे विस्वास है कि यहां के अनुभव खुद भी नहीं भूलेंगे. यहां से जाकर दूसरों को भी बताएंगे.
बेहद खास है. हमारे लिए मनुष्य मात्र ही पूरा संसार है. हमारे पूर्वजों ने इसी सोच के साथ भारत के सांस्कृति विकास को विस्तार दिया. दुनिया के अलग अलग कोनों में संस्कृति का फैलाव किया. अलग अलग संभ्यताओं के बीच व्यापार किया. और भारतीयों ने सांस्कृतिक औऱ व्यापारिक संबंध बनाकर दिखाया. अपने प्रवासियों को जब हम ग्लोबल मैप पर देखते हैं तो वसुधैव कुटुंबकम की भावना के साक्षात्कार होते हैं.