रामलला के आते ही रो पढ़े अयोध्यावासी: विकास की भेट चढ़ी सेकड़ो दुकानें,जनता पर रोजी रोटी का संकट
रामलला के आते ही रो पढ़े अयोध्यावासी: विकास की भेट चढ़ी सेकड़ो दुकानें,जनता पर रोजी रोटी का संकट,क्या आप जानते है क्या हो रहा अयोध्या में? नया घाट से लेकर साहड़ागंज 14 किलोमीटर तक का राम पद बनाया जा रहा है जिसके लिए कई सेकड़ो घरो के साथ 12 मस्जितो और 30 मंदिरो को तोड़ा गया है
होई वही राम रची रखा का करे तर्क बढ़ाये शाखा ,किसके लिए विकास है तो किसी के लिए विनाश
रामलला के आते ही रो पढ़े अयोध्यावासी: विकास की भेट चढ़ी सेकड़ो दुकानें,जनता पर रोजी रोटी का संकट
रामगुलेला मंदिर, हनुमानगढ़ी से राम मंदिर जाने के रास्ते पर पड़ता है. यहां आने वाले श्रद्धालु पहले हनुमानगढ़ी में दर्शन करते हैं और इसी रास्ते से होकर राम मंदिर जाते हैं. साल 2022 में जब इसका चौड़ीकरण शुरू हुआ तो हनुमानगढ़ी मंदिर के ठीक सामने 28 दुकानों और राम गुलेला मंदिर के पास से 36 दुकानों को तोड़ दिया गया.
रामलला के आते ही रो पढ़े अयोध्यावासी: विकास की भेट चढ़ी सेकड़ो दुकानें,जनता पर रोजी रोटी का संकट
अयोध्या में तो वैसे कई मार्गों का चौड़ीकरण हुआ है लेकिन तीन मार्गों के चौड़ीकरण ने काफी दुकानदारों को प्रभावित किया. पहला भक्ति पथ, यह रास्ता हनुमानगढ़ी से राम मंदिर को जाता है. इसकी लम्बाई तकरीबन 900 मीटर है. यह सड़क पहले करीब 7 मीटर चौड़ी हुआ करती थी और अब 14 मीटर है. दूसरी सड़क जो बिरला धर्मशाला से राम मंदिर को जाती है- जन्मभूमि पथ. इसकी भी दूरी 800-900 मीटर है. यह सड़क आज 30 मीटर तक चौड़ी है. पहले बेहद छोटी गलीनुमा होती थी. तीसरी सड़क राम पथ, यह 13 किलोमीटर लंबी है, फैज़ाबाद से लता मंगेशकर चौराहे तक की यह सड़क पहले 10-12 मीटर चौड़ी हुआ करती थी और अब 20 मीटर है.
चौड़ीकरण के दौरान प्रभावित होने वाले व्यापारियों के लिए संघर्ष करने वाले समाजवादी पार्टी के नेता और अयोध्या उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष नंदू गुप्ता न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं कि इस चौड़ीकरण से चार हज़ार से ज़्यादा दुकानदार प्रभावित हुए हैं. वहीं, 1600 के करीब लोगों की दुकानें चली गईं. प्रशासन यह आंकड़ा आठ सौ बताता है. जिसको लेकर हमारी बहस हुई और हमने उन्हें प्रभावितों की पूरी लिस्ट दी थी
भक्ति मार्ग और जन्मभूमि मार्ग पर धवस्त दुकानों के निशान आपको दिखाई नहीं देंगे क्योंकि यहां रंगरोगन किया जा चुका है. लेकिन राम पथ पर जगह-जगह टूटी दीवारों के निशान अब भी हैं.