बादाम की खेती से होगा किसान माला माल इस प्रकार करे बादाम की देख भाल

बादाम की खेती से होगा किसान माला माल इस प्रकार करे बादाम की देख भाल

आज के समय में ड्राई फ्रूट के हर कोई दीवाना है और साथ में काफी महंगा भी है इसकी कीमत हमारे भारत बहोत अधिक होती हिअ यह स्वास्थय के लिए भी काफी लाभदायक होता है और यह खाने भी काफी उपयोग में लाया जाता है और इसका उपयग हर घर में होता हिअ खीर में सं त्योहरा में भी इसका उपयोग किया जाता है में बादाम का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान हैं। इसका उपयोग खाने के अलावा मिठाई बनाने में किया जाता है। सर्दियों में बादाम के लड्डू बनाए जाते हैं जो काफी स्वास्थ्यवर्धक होते हैं। बादाम का सेवन स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी अच्छा माना गया है। इसी के साथ इसका तेल का उपयोग बालों और दिमाग के लिए लाभकारी बताया गया है। भारत में बादाम का प्रयोग शादियों, जन्मदिन और नव वर्ष पर गिफ्ट पैक के रूप में किया जाता है। प्रमुख त्योहारों और मांगलिक अवसरों पर आज मिठाई की जगह लोग ड्राई फ्रूट का आदान-प्रदान करते हैं जिसमें बादाम को प्रमुख रूप से शामिल किया जाता है। 

बाजार में अच्छे मिलते हैं बादाम के भाव

इतनी सारी विशेषताओं के कारण भारत में बादाम का उत्पादन निरंतर बढ़ रहा है। इसी के साथ बादाम के बाजार भाव भी अच्छे मिलते हैं। इन सब बातों को देखते हुए किसानों के लिए बादाम की खेती करना लाभ का सौंदा साबित हो सकता है। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से किसान भाइयों को बादाम की खेती की जानकारी दें रहे हैं। आशा करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए लाभकारी होगी। 

बादाम खाने से लाभ और नुकसान

बादाम एक तरह का मेवा होता है। आयुर्वेद में इसको बुद्धि और नसों के लिए गुणकारी बताया गया है। एक आउंस (28 ग्राम) बादाम में 160 कैलोरी होती हैं, इसीलिए यह शरीर को उर्जा प्रदान करता है। लेकिन बहुत अधिक खाने पर मोटापा भी दे सकता है। इसमें निहित कुल कैलोरी का तीन बटा चार भाग वसा से मिलता है, शेष कार्बोहाईड्रेट और प्रोटीन से मिलता है। इसका ग्लाईसेमिक लोड शून्य होता है। इसमें कार्बोहाईड्रेट बहुत कम होता है। इस कारण से बादाम से बना केक या बिस्कुट, आदि मधुमेह के रोगी भी खा सकते हैं। बादाम में फाईबर या आहारीय रेशा पाया जाता है जो पाचन में सहायक होता है और हृदय रोगों से बचने में भी मदद करता है, तथा पेट को अधिक देर तक भर कर रखता है। इस कारण कब्ज के रोगियों के लिए लाभदायक रहता है। बादाम में सोडियम नहीं होने से उच्च रक्तचाप रोगियों के लिए भी लाभदायक रहता है। इनके अलावा पोटेशियम, विटामिन ई, लौह, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फास्फोरस भी होते हैं जो स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी लाभकारी हैं। 

Almond Farming : कैसा होता है बादाम का पेड़

बादाम का पेड़ एक मध्यम से आकार का पेड़ होता है और जिसमें गुलाबी और सफेद रंग के सुगंधित फूल लगते हैं। ये पेड़ पर्वतीय क्षेत्रों में अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। इसके तने मोटे होते हैं। इसके पत्ते लंबे, चौड़े और मुलायम होते हैं। इसके फल के अंदर की मिंगी (गिरी) को बादाम कहते हैं। 

भारत में कहां-कहां होती है बादाम की खेती (Almond Farming in India)

भारत में बादाम की खेती मुख्य रूप से कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे ठंडे क्षेत्रों और चीन की सीमा से लगे तिब्बत, लाहौल एवं किन्नोर जिले आदि में की जाती है। लेकिन अब इसकी शौकिया तौर पर खेती बिहार, यूपी और एमपी में भी की जा रही है। बिहार-यूपी-एमपी जैसे राज्यों के किसानों ने बादाम के पौधे लगाए हैं जो अब बड़े होकर फल देने लगे हैं। हाल ही में ग्वालियर के डबरा कस्बे के एक किसान का न्यूज काफी वायरल हुआ था। दरअसल डबरा कस्बे के किसान प्रभुदयाल ने शौकिया तौर पर बादाम का पेड़ लगाया था जो अब फल देने लगा है। इससे यह सिद्ध होता है कि कुछ सावधानियों के साथ इसकी खेती गर्म जलवायु में भी की जा सकती है। 

बादाम के प्रकार

वैसे तो ज्यादातर बादामों के नाम उनके देशों के हिसाब से भी है जैसे अमेरिकन बादाम, ईरानी बादाम, स्पेनिश बादाम लेकिर मुख्य रूप से दो ही प्रकार के बादाम होते है, कैलिफोर्निया (अमेरिकन) बादाम और मामरा बादाम। 

बादाम की उन्नत किस्में

बादाम की उन्नत किस्मों में कैलिफोर्निया पेपर सेल, नान पेरिल, ड्रेक, थिनरोल्ड, आई.एक्स.एल., नीप्लस अल्ट्रा आदि मुख्य रूप से बादाम की किस्में हैं।

बादाम की खेती के लिए आवश्यक जलवायु 

बादाम की खेती के गर्मियों में 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान पौधे की वृद्धि और गिरी भरने के लिए जरूरी होता है। वहीं सर्दियों में 2.2 डिग्री सेल्सियस तक का सामना करना पड़ेगा, लेकिन पत्ती के गिरने के अवस्था में फूल 0.50 डिग्री सेल्सियस से -11 डिग्री सेल्सियस तापमान में क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। फूल जब छोटे होते है तब वे 2.2 डिग्री सेल्सियस से 3.3 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सहन कर सकते हैं, लेकिन अगर कम तापमान निरंतर लंबे समय तक बने रहने पर ये फसल को आसानी से नुकसान पहुंचा सकता हैं। 

बादाम की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी (Badam ki Kheti)

वहीं इसके लिए भूमि या मिट्टी की बात करें तो इसकी खेती के लिए समतल, बलुई, दोमट चिकनी मिट्टी और गहरी उपजाऊ मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसकी खेती के लिए इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जिस खेत में इसकी खेती जा रही है उसमें जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।

बादाम की खेती के लिए खेत की तैयारी

बादाम के पौधे लगाने के लिए खेत को अच्छी प्रकार तैयार करना चाहिए। इसके लिए सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से खेत की जुताई करनी चाहिए। इसके बाद 3 से 4 बार कल्टीवेटर या देशी हल से जुताई करें। इसके बाद पाटा लगाकर खेत को समतल कर लेना चाहिए।

बादाम की खेती में प्रवर्धन की विधियां

बादाम के पौधे का प्रवर्धन छल्ला चश्मा, टी चश्मा, कलम विधि द्वारा किया जाता है। चश्मा चढ़ाने का उचित समय अप्रैल-मई होता है। वहीं कलम बांधने का उचित समय जनवरी-फरवरी माना जाता है। 

कैसे करें बादाम के पौधे का रोपण

बादाम को रोपण करने से पहले करीब 3 फुट लंबाई & 3 फीट चौड़ा & 3 फीट गहरे गड्ढे सितंबर से अक्टूबर के महीने तैयार कर लेने चाहिए। पौधे के रोपण के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि पक्तियों में पौधे की पौधे से दूरी करीब 5 मीटर रखकर लगाना चाहिए। बादाम के पौधों को फरवरी से मार्च तक गड्ढे के बीच में लगाना चाहिए। 

बादाम की खेती में खाद एवं उर्वरक का प्रयोग

बादाम के पौधे की अच्छी बढ़ोतरी और उपज के लिए खाद एवं उर्वरक की उचित मात्रा को प्रयोग करना चाहिए। इसके लिए गोबर की सड़ी हुई खाद 35 से 40 किलो एवं 2 किलोग्राम कैल्सियम अमोनिया नाइट्रेट, 1.5 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट और 1.0 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति पेड़ प्रति वर्ष देना चाहिए। फास्फोरस की पूरी व पोटाश की आधी मात्रा अप्रैल तथा नाइट्रोजन की आधी मात्रा फरवरी तथा आधी मात्रा अप्रैल में देनी चाहिए।

Almond Cultivation : बादाम की खेती में सिंचाई प्रबंधन

बादाम के छोटे बगीचे में गर्मियों के समय मे 10 दिन के अंतर सिंचाई करनी चाहिए। वहीं सर्दियों में 20 से 25 दिन के अंतर पर सिंचाई करनी चाहिए। ऊंची-नीची कृन्दाओं में टपक विधि का प्रयोग करना चाहिए। फलत वाले पौधे में अच्छी फलत के लिए गर्मियों में सिंचाई बहुत आवश्यक होती है। इससे फलों के गिरने की समस्या नहीं होती है और अगले वर्ष की फलत अच्छी आती है। 

बादाम की खेती में खरपतवार नियंत्रण के उपाय

बादाम की खेती में खरपतवार नियंत्रण के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई का काम करना चाहिए और खरपतवार को हाथ से निकल कर खेत से कहीं दूर फेंक देना चाहिए। बादाम के पौधे की पहली निराई रोपण के 10 से 15 दिन बाद करनी चाहिए। इसके बाद दूसरी निराई का काम 25 से 35 दिन के बाद करना चाहिए। वहीं तीसरी निराई 45 दिन बाद करनी चाहिए। यदि खेत में खरपतवार अधिक है तो 2 से 3 बार हाथ से निराई करनी चाहिए।

बादाम की तुड़ाई

बादाम पौधे रोपने के तीसरे साल से यह फल देना शुरू कर देता है। फूल आने के 7-8 महीने बाद बादाम को तोड़ा जा सकता है। फल तोडऩे के बाद उससे छाया में सुखाना चाहिए फिर गिरी को फली से अलग कर देना चाहिए। बता दें कि हालांकि बादाम 3 से 4 साल में फल देना शुरू कर देता है लेकिन पूरी तरह से फल देने लायक 6 साल में होता है। एक बादाम के पेड़ से इस तरह 50 साल तक बादाम के फल प्राप्त किए जा सकते हैं।

बादाम के एक पेड़ से प्राप्त उपज

बादाम की उपज क्षेत्र और किस्मों पर निर्भर करती है। फिर भी बादाम के एक पेड़ से 2 से 2.5 किलोग्राम सूखे बादाम प्रति पेड़ प्रति वर्ष प्राप्त हो जाते हैं।

बादाम का बाजार भाव

बाजार में बादाम का भाव 600 रुपए से 1000 रुपए प्रति किलोग्राम है। बाजार में बादाम की कीमत मांग और आपूर्ति पर निर्भर करती है जो इसके हिसाब से अलग-अलग हो सकती है।

कैसे करें बादाम के पौधे / बादाम के पेड़ की देखभाल

  • बादाम के पौधे अथवा पेड़ की आवश्यकतानुसार नियमित सिंचाई करनी चाहिए। इसके लिए टपक विधि को अपनाया जा सकता है। 
  • युवा पौधों में हर 2 सप्ताह में सिंचाई की जा सकती है। जबकि वयस्कों पेड़ को 20-25 दिनों में एक बार सिंचाई की आवश्यकता होती है। 
  • वसंत के मौसम में बादाम के पौधे/पेड़ में फर्टिलाइजर का प्रयोग जरूर करें। लेकिन फर्टिलाइजर देने केे बाद पौधे/पेड़ को पानी देना नहीं भूलें। 
  • यदि फर्टिलाइजर बिना पानी एड किए दिया जाए या बिना पानी के दिया जाए तो पौधे के जलने की संभावना रहती है। 
  • प्राथमिकता सर्कल को ढीला करने से पेड़ के विकास पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है। पहली बार यह काम मार्च के अंत में 10-12 सेंटीमीटर की गहराई तक किया जाता है। 
  • बादाम के पौधे से समय-समय पर खरपतवार को हटाना आवश्यक है। इसके लिए आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई कर खरपतवार निकालें और इसे खेत से दूर फेंक दें ताकि अन्य स्वस्थ पौधे इसके संपर्क में आ पाएं।
  • बादाम की खेती के साथ खेत में बची हुई जगह पर अन्य प्रकार की सब्जियां उगाई जा सकती हैं।  

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