भगवान राम अपनी पत्नी के अनुष्ठान नहीं कर सकते,देश के प्रधानमंत्री का पत्नी के बिना प्राण प्रतिष्ठा करना सही था?संतो का बडा सवाल????
भगवान राम अपनी पत्नी के आनुष्ठान नहीं कर सकते,राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का न्योता इस समय देश में चर्चा का विष्य बना हुआ है। केंद्र की बीजेपी सरकार पर प्राण प्रतिष्ठा के जरिए वोट की राजनीति करने के आरोप लग रहे हैं। अयोध्या में 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा है। प्राण प्रतिष्ठा के भव्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी समेत कई अहम लोग शामिल होंगे। लेकिन हैरानी की बात यह है कि चारों शंकराचार्यों ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की रूप रेखा पर सवाल खड़े करते हुए इससे दूरी बना ली है। पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के बाद द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सीधे तौर पर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का विरोध किया है। इसके अलावा दो शंकराचार्यों ने भी बयान देकर कार्यक्रम में जाने से सीधे तौर पर मना कर दिया है।
भगवान राम अपनी पत्नी के अनुष्ठान नहीं कर सकते,देश के प्रधानमंत्री का पत्नी के बिना प्राण प्रतिष्ठा करना सही था?संतो का बडा सवाल????
धार्मिक शास्त्रों व ग्रंथों आदि में वर्णन
अक्सर बड़े-बूढ़ों को कहते सुना जाता कि पति-पत्नी जीवन रूपी साइकिल के दो पहिए हैं, एक न होने पर दूसरा पहिया डगमगा जाता है। ठीक उसी तरह पति-पत्नी के यदि किसी भी प्रकार के धार्मिक कार्य में साथ शामिल नहीं होते तो पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता। इस संदर्भ में धार्मिक शास्त्रों व ग्रंथों आदि में वर्णन किया गया है कि जिसके अनुसार पति-पत्नी द्वारा साथ में ही पूजा करने से पुण्य व लाभ की प्राप्ति होती है।
भगवान राम अपनी पत्नी के अनुष्ठान नहीं कर सकते,देश के प्रधानमंत्री का पत्नी के बिना प्राण प्रतिष्ठा करना सही था?संतो का बडा सवाल????
जो व्यक्ति विवाह के उपरांत अकेले पूजा-अर्चना जैसे किसी भी धार्मिक काय का हिस्सा बनता है, उसकी पूजा महत्व कम हो जाता है। आज हम इस आर्टकिल में हम आपको इसी से जुड़ी जानकारी देने जा रहे हैं कि आखिर पति-पत्नी को साथ में क्यों पूजा क्यों करनी चाहिए और ऐसा करने के क्या लाभ हैं। साथ ही साथ बताएंगे कि शास्त्रों के मुताबिक पत्नी को पति के किस ओर बैठना चाहिए।
देश के प्रधानमंत्री का पत्नी के बिना प्राण प्रतिष्ठा करना सही था?संतो का बडा सवाल????
चारों शंकराचार्यों ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की रूप रेखा पर सवाल खड़े करते हुए इससे दूरी बना ली है। पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के बाद द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सीधे तौर पर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का विरोध किया है। इसके अलावा दो शंकराचार्यों ने भी बयान देकर कार्यक्रम में जाने से सीधे तौर पर मना कर दिया है भगवान राम अपनी पत्नी के आनुष्ठान नहीं कर सकते,देश के प्रधानमंत्री का पत्नी के बिना प्राण प्रतिष्ठा करना सही था?संतो का बडा सवाल????