भारत और चीन के बिच सीमा पर हाथापाई,लाठी-डंडे से ही लड़ाई,इन शर्तो पर हुआ है समझौता
भारत और चीन के बिच सीमा पर हाथापाई भारत-चीन के बीच हुए इस समझौते के आर्टिकल 6 का ही एक तीसरा पाॅइंट है, गोली-बारूद के साथ सैन्य अभ्यास करते समय में यह ध्यान रखना कि कोई गोली या मिसाइल संयोग या दुर्योगवश भी बॉर्डर के दूसरी तरफ न जाए
अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में बीते 9 दिसंबर को चीन के सैनिकों ने भारत में घुसपैठ की कोशिश की, जिन्हें भारतीय जवानों ने खदेड़ कर भगा दिया. पूर्व सेना प्रमुख जनरलएमएम नरवणे के मुताबिक, चीनी सेना के जवान साल में 4 से 5 बार ऐसी कोशिशें करते रहे हैं. हर बार भारतीय जवानों से उन्हें मुंह की खानी पड़ी है. इस बीच एक वीडियो भी वायरल हुई, जिसमें भारतीय जवान लाठी-डंडों से उन्हें भगाते नजर आ रहे हैं. हालांकि यह वीडियो पुरानी बताई जा रही है
भारत और चीन के बिच सीमा पर हाथापाई,लाठी-डंडे से ही लड़ाई,इन शर्तो पर हुआ है समझौता
पहले भी ऐसी कई वीडियोज वायरल होती रही हैं, जिनमें दोनों ओर के सैनिक हाथापाई करते या फिर लाठी-डंडों से लड़ते दिखते हैं. आम लोगों के मन में एक सवाल कौंधता है कि जब सीमा पर एयरक्राफ्ट, बैलिस्टिक मिसाइल जैसे खतरनाक हथियार तैनात हैं और हमारी सेना बंदूक, गोली-बारूदों और अत्याधुनिक वीपन्स से लैस है… तो फिर चीनी सैनिकों पर उन्हीं से वार क्यों नहीं करती? इसका दूसरा पहलू ये भी है कि चीनी सैनिक भी गोले-बारूद से वार नहीं करते. आखिर ऐसा क्यों?
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भारत-चीन के बीच समझौता
भारत-चीन सीमा पर हाथापाई या लाठी-डंडे से ही लड़ाई करने और गोले-बारूद का इस्तेमाल न करने के पीछे की वजह है- दोनों देशों के बीच हुआ समझौता. यह समझौता हुआ था, 29 नवंबर, 1996 को. नई दिल्ली में. एग्रीमेंट बिटविन द गवर्नमेंट ऑफ रिपब्लिक और इंडिया एंड चाइना ऑन ‘कॉन्फिडेंस मीजर्स इन द मिलिट्री फील्ड एलॉन्ग द एलएसी इन इंडिया-चाइना बॉर्डर एरियाज’. यानी भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में एलएसी क्षेत्र में विश्वास-निर्माण के उपायों के लिए दोनों देशों के बीच हुआ समझौता.
भारत और चीन के बिच सीमा पर हाथापाई,लाठी-डंडे से ही लड़ाई,इन शर्तो पर हुआ है समझौता
क्या है इस समझौते में?
समझौते में आर्टिकल 6 के तहत कहा गया है कि भारत और चीन, दोनों पक्षों में से कोई भी एलएसी के दो किलोमीटर की सीमा तक गोली नहीं चलाएगा. न ही कोई खतरनाक केमिकल का इस्तेमाल करेगा, न कोई बम विस्फोट करेगा और न ही अन्य कोई हथियार गतिविधि. हालांकि यह प्रतिबंध स्मॉल आर्म्स फायरिंग रेंज में सैन्य अभ्यास के लिए रूटीन फायरिंग पर लागू नहीं होता.
आर्टिकल 6 का दूसरा पॉइंट है, विकास कार्यों के लिए जानकारी देकर ब्लास्ट करने के संबंध में. जैसे सड़क बनाने के लिए भी पहाड़ में विस्फोट की जरूरत पड़ती है, तो सामने वाले देश को बताकर किया जाए. ताकि इससे कोई युद्ध का भ्रम या गलतफहमी न हो. इसके तहत एलएसी के 2 किमी के अंदर ब्लास्ट करना हो तो बॉर्डर पर्सनल मीटिंग या अन्य किसी डिप्लोमैटिक चैनल के जरिए बताया जाना जरूरी है. बेहतर है कि 5 दिन पहले बताया जाए.
ताकि दूसरे देश को नुकसान न पहुंचे
भारत-चीन के बीच हुए इस समझौते के आर्टिकल 6 का ही एक तीसरा पाॅइंट है, गोली-बारूद के साथ सैन्य अभ्यास करते समय में यह ध्यान रखना कि कोई गोली या मिसाइल संयोग या दुर्योगवश भी बॉर्डर के दूसरी तरफ न जाए. इस अभ्यास से दूसरे देश की सीमा में किसी व्यक्ति या संपत्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए.
इसी आर्टिकल 6 का चौथा पॉइंट है कि एलएसी के अलाइनमेंट में अगर मतभेद या अन्य कारणों से दोनों पक्ष के सैनिकों का आमना-सामना हो, तो वे खुद पर काबू रखेंगे. सीमा पर हालात बिगड़ने से बचाने के लिए सेना के अधिकारी जरूरी कदम उठाएंगे. दोनों पक्ष डिप्लोमैटिक तरीके से या दूसरे माध्यमों के जरिए घटना या उस मामले का रिव्यू करेंगे और तनाव न बढ़े, इसके लिए जरूरी कदम उठाएंगे
भारत और चीन के बिच सीमा पर हाथापाई,लाठी-डंडे से ही लड़ाई,इन शर्तो पर हुआ है समझौता
हालांकि 1996 में हुए समझौते के बावजूद गलवान में दोनों देशों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए थे और चीन के भी कई सैनिक मारे गए थे. तब मामला ज्यादा बिगड़ गया था और इसके बाद से दोनों देशों के बीच संबंध और ज्यादा बिगड़ते चले गए. दोनों ही देशों को 1996 में हुए समझौते के प्रति प्रतिबद्ध रहना है, लेकिन चीन गुस्ताखी करता है तो भारतीय सेना अपने तरीके से उन्हें जवाब देती है.