देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी और फिरोज की शादी रामनवमी के दिन हुई थी,देखिये रोचक तय्थ और प्रेम की अनोखी कहानी

देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी और फिरोज की शादी रामनवमी के दिन हुई थी

देश की सबसे ताकतवर मानी जाने वाली महिला इंदिरा गांधी ने फिरोज गांधी को टूटकर चाहा था लेकिन जब उन्हें लगने लगा कि वह उनसे बेवफाई कर रहे हैं तो दूरियां बढ़ती चली गईं. इंदिरा एक प्यार करने वाला पति और सुखी परिवार चाहती थीं. यही उन्हें नहीं मिला अगर फिरोज बेवफाई नहीं करते तो इंदिरा शायद ही राजनीति की ओर मुड़तीं. तब शायद भारतीय राजनीति में उनके कदमों के निशान ऐसे नहीं होते जो हमें नजर आते हैं

देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी और फिरोज की शादी रामनवमी के दिन हुई थी,देखिये रोचक तय्थ और प्रेम की अनोखी कहानी

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इंदिरा का बचपन इलाहाबाद में बीता था. पिता जवाहर लाल नेहरू उनमें अपना बेटा देखते थे. वह उनकी हर मांग पूरी करते थे. एक ही बार उन्होंने अपनी बेटी की इच्छा का विरोध किया था, बल्कि कहना चाहिए खासे नाराज भी हुए. बेटी अपने प्यार पर अड़ी. वो अपने प्यार से शादी करना चाहती थी और उसने करके भी दिखाया.

देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी और फिरोज की शादी रामनवमी के दिन हुई थी,देखिये रोचक तय्थ और प्रेम की अनोखी कहानी

पिता के विरोध भी इंदिरा ने शादी की. हालांकि इस शादी पर उनके पिता ही नहीं मां को भी एतराज था. निधन से महज एक महीने पहले मां कमला नेहरू महसूस कर रही थीं कि उनकी प्रिय बेटी इंदु बड़ी गलती करने जा रही है.

सादगीभरी जिंदगी बिताना चाहती थीं
इंदिरा गांधी की जीवनी लेखिका पुपुल जयकर के अनुसार, “इंदिरा जब फिरोज के प्रेम में पड़ीं तो वह राजनीति की चकाचौंध से दूर होकर शादी करना और सादगीभरी जिंदगी बिताना चाहती थीं, जिसमें वह और उनका परिवार हो.

शादी के बाद जब दूरियां बढने लगीं तो इंदिरा ने राजनीति में शिरकत करनी शुरू कर दी. इसने फिरोज के साथ उनके मतभेदों को और बढ़ा दिया. इंदिरा अगर एक ओर पति की बेवफाई से निराश थीं तो उनके पिता नेहरू भी फिरोज को पसंद नहीं करते थे. स्थितियां बनती गईं कि दोनों का विवाहित जीवन करीब करीब खत्म सा ही हो गया.”

जब फिरोज मोहित हो गए
फिरोज का इलाहाबाद के आनंद भवन में प्रवेश जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला की मदद के लिए एक वालिंटियर के रूप में हुआ था. जब कमला बीमार हुईं और आनंद भवन में थीं तब इंदिरा ने जिस तरह नर्स के रूप में मां की सेवा की, उससे फिरोज बहुत प्रभावित हो गए. इंदिरा सुंदर तो थीं ही, उनमें गजब का आकर्षण भी था

पुपुल जयकर ने अपनी किताब में लिखा, “तब फिरोज ने इंदिरा की ओर ध्यान देना शुरू किया. वह उनके आगे-पीछे मंडराने लगे. वह मौका देखने लगे कि इंदिरा के करीब कैसे रह सकते हैं. हालांकि इंदिरा को उस समय ये सब पसंद नहीं था.

इंदिरा अवाक रह गईं
जवाहरलाल नेहरू के विशेष सचिव एमओ मथाई अपनी किताब “रिमिनिसेंसेज ऑफ द नेहरू एज” में लिखते हैं, “इंदिरा ने उन्हें बताया कि जब वह 16 साल की होने वाली थीं, उससे पहले ही एक दिन फिरोज ने उनके सामने प्रेम निवेदन किया. शादी का प्रस्ताव रख दिया. इंदिरा अवाक रह गईं. उन्हें फिरोज से ये उम्मीद नहीं थी. उन्होंने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया. मां से शिकायत अलग कर दी. कमला भी जानकर नाराज हुईं. हालांकि इसके बाद भी फिरोज का आनंद भवन आना जाना लगा रहा.

लंदन में जीता इंदिरा का दिल
इंदिरा को पढाई के लिए लंदन भेज दिया गया. वह वहां अकेली थीं. दूसरे विश्व युद्ध से पहले लंदन में अलग तरह का माहौल था. फिरोज भी कुछ समय बाद लंदन रवाना हो गए. वहां उन्होंने भी लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में दाखिला ले लिया. मकसद उनका केवल इतना था कि वहां वो इंदिरा के नजदीक आ पाएंगे. इसमें उन्हें सफलता भी मिली.

आखिरकार उन्होंने लंदन में इंदिरा का दिल जीत लिया. फिरोज के मित्र और जाने माने पत्रकार निखिल चक्रवर्ती ने अपनी किताब में लिखा, “फिरोज महिलाओं के प्रति आकर्षित हो जाते थे. लंदन में बेशक इंदिरा से नजदीकियां बढा रहे थे, लेकिन वहां भी उनके अफेयर कई महिलाओं से हो चुके थे. इंदिरा को इसकी भनक तक नहीं थी.”

क्या उन्होंने गुप्त विवाह कर लिया था
कैथरीन फ्रेंक ने अपनी किताब “इंदिराः द लाइफ ऑफ इंदिरा नेहरू गांधी” में लिखती हैं, “इंदिरा और फिरोज ने गुप्त विवाह कर लिया था. सार्वजनिक विवाह होने से पहले ही दोनों ने पति और पत्नी की तरह साथ रहना शुरू कर दिया था. जब इंदिरा ने पिता से कहा कि उन्हें फिरोज से प्यार है. वह उनसे शादी करना चाहती हैं तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया था. नेहरू और उनका परिवार इस शादी के सख्त खिलाफ था.”

मथाई की किताब कहती है, ” पद्मजा नायडू ने नेहरू से कहा, उनकी बेटी बड़ी हो चुकी है. अगर दोनों ने शादी करनी चाही तो वह उसे रोक नहीं पाएंगे, लिहाजा अनुमति दे देनी चाहिए. नेहरू ने अनिच्छा से अनुमति दे दी

शादी के जल्द बाद खटपट शुरू हो गई
शादी के जल्द बाद ही इंदिरा और फिरोज में खटपट शुरू हो गई. साल 1941 में जब वह गर्भवती थीं.  राजीव गांधी का जन्म होने वाला था तो उन्हें पता लगा कि फिरोज किसी और महिला से इनवाल्व हैं. उनके कानों में फिरोज के अफेयर के एक नहीं कई किस्सों की खबरें पहुंच रही थीं. वह दुखी हो गईं.

कैथरीन फ्रेंक की किताब “इंदिराः द लाइफ ऑफ इंदिरा नेहरू गांधी” कहती है, “फिरोज बिंदास जिंदगी जीने में यकीन रखते थे.” किताब के अनुसार, “इंदिरा से शादी के बाद भी फिरोज दूसरी महिलाओं से फ्लर्ट करते थे. महमूना सुल्तान के अलावा उनके रोमांटिक रिश्ते संसद की ग्लैमर गर्ल कही जाने वाली तारकेश्वरी सिन्हा, सांसद सुभद्रा जोशी से रहे. उनकी एक और गर्लफ्रेंड थी, जो खूबसूरत नेपाली तलाकशुदा महिला थी और आलइंडिया रेडियो में काम करती थी. उसके ससुराल पक्ष के लोग केरल के बड़े अभिजात्य परिवार से थे.”

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