12/21/2024

Deshi Poultry Farming 2024: देशी मुर्गी पालन कैसे करे,मुर्गी पालन में खर्च और कितनी होगी कमाई

Deshi Poultry Farming 2024

Deshi Poultry Farming 2024

Deshi Poultry Farming 2024: देशी मुर्गी पालन कैसे करे,मुर्गी पालन में खर्च और कितनी होगी कमाई भारत देश में मुर्गी पालन का व्यवसाय भी काफी लोकप्रिय व्यवसाय है। भारत देश में तकरी बन 30 से 35 लाख लोग देसी मुर्गी पालन का व्यवसाय करते है। मुर्गी पालन के व्यवसाय में आप दो तरह की मुर्गी पालन कर सकते है। इसमें सामान्य मुर्गी पालन और देसी मुर्गी पालन शामिल है। देसी मुर्गी पालन को कम जगह में भी करके अच्छी कमाई कर सकते है। इसमें बहुत कम लागत और थोड़ी पूँजी की जरूरत होती है। चीन और अमेरिका के बाद अंडा उत्पादन के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है, और मांस उत्पादन में भारत 5 में स्थान पर है।

Deshi Poultry Farming 2024: देशी मुर्गी पालन कैसे करे,मुर्गी पालन में खर्च और कितनी होगी कमाई

How To Rear Native Poultry

देशी मुर्गी पालन के लिए किसानो को ज्यादा खर्च की जरुरत नहीं पड़ती है। मुर्गी पालन व्यवसाय सिर्फ 45 से 50 हजार रुपये में शुरू कर सकते है। इस मुर्गी पालन व्यवसाय को हम घर के खली जगह पर आगंन या खेतो में शुरू कर सकते है। किसान भाई बता दें की लाइवस्टॉक मिशन के तहत इस बिजनेस की शुरुआत करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी भी दिया जाता है.

मुर्गी पालन के फायदे

  • किसान भाई बाज़ारो में भी देसी मुर्गी की अधिक डिमांड रहती है।
  • देशी मुर्गी के बाजार में इसके अच्छे दाम मिल जाते है।
  • किसान भाई देशी मुर्गी का पालन बैकयार्ड मुर्गी के रूप में भी कर सकते है
  • गरीब किसान देसी मुर्गी पालन को अपनी कमाई का जरिया बना सकता है।
  • किसान भाई देसी मुर्गी पालन कम लागत में भी शुरू कर सकते है।
  • किसान भाई आमदनी बढ़ाने में किसानो का अतिरिक्त साधन बन स

देसी मुर्गी की नस्ले

किसान भाई देसी मुर्गी की नस्लेकई साडी है। जैसे की कड़कनाथ नस्ल (Kadaknath Breed), ग्रामप्रिया नस्ल (Grampriya Breed), असेल नस्ल (Asel Breed) और स्वरनाथ नस्ल (Swarnath Breed) आदि ऐसी कई साडी मुर्गी की नस्ले है। हर मुर्गी की अलग अलग विशेषताएँ होती है। किसान भाई यहाँ पर आपको मुख्य प्रजातियों की जानकारी दी जा रही है। इस लिए इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ना और अंत तक बने रहे।

(1) कड़कनाथ नस्ल

इस नस्ल का मूल नाम कलामासी था। जिसका अर्थ है काले मांस वाला पक्षी। कड़कनाथ जाति मूलतः मध्य प्रदेश में रहती है। इस नस्ल का मीट दूसरी नस्लों से अधिक प्रोटीन से भरपूर है। कड़कनाथ नस्ल का मीट कई प्रकार की दवा बनाने में भी प्रयोग किया जाता है, इसलिए यह व्यवसाय के लिए बहुत फायदेमंद है। यह मुर्गियां हर साल 80 अंडे देती है। जेट ब्लैक, पेन्सिल्ड और गोल्डेन इस नस्ल की प्रमुख किस्में हैं।

(2) ग्रामप्रिया नस्ल

भारत सरकार ने हैदराबाद में अखिल भारतीय समन्वय अनुसंधान परियोजना के तहत ग्रामप्रिया को बनाया है। यह खास तौर पर जनजातीय और ग्रामीण कृषि विकल्पों के लिए बनाया गया है। 12 हफ्तों में इनका वज़न 1.5 से 2 किलो होता है। तंदूरी चिकन बनाने में इनका मीट अधिक प्रयोग किया जाता है। ग्रामप्रिया प्रति वर्ष 210–225 अण्डे देती है। इनके अण्डे भूरे रंग के होते हैं और 57 से 60 ग्राम वजन के होते हैं।

(3) असेल नस्ल

यह नस्ल राजस्थान, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में पाई जाती है। यह नस्ल भारत से बाहर भी ईरान में मिलती है, जहाँ इसे अलग नाम से जाना जाता है। इस नस्ल का चिकन उत्कृष्ट है। मानव जाति इस नस्ल के मुर्गों को मैदान में लड़ाते हैं क्योंकि उनका व्यवहार विवादित है। मुर्गी दो से चार किलोग्राम वजन की होती है। इस नस्ल के मुर्गे-मुर्गियों के चमकीले बाल और लंबे पैर होते हैं।

मुर्गी फार्म में कितनी कमाई है?

किसान भाई यदि आप 1000 मुर्गियों से देशी मुर्गी पालन का बिजनेस शुरू करते हैं तो आप पहले साल में लग भग 3 लाख रुपए का अंडे बेच सकते हैं। साथ ही, एक साल बाद मुर्गियों को चिकन के लिए बेच दिया जाता है। इससे लग भग 3 से 4 लाख रुपए की आमदनी होगी। जब कि कुल खर्च लग भग 1 से 1.5 लाख रुपए होगी और साल भर में 5 से 6 लाख रुपए प्रॉफिट कमा सकते हैं। आगे के सालों में आपकी कैपिटल कॉस्‍ट कम हो जाती है।

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