July 27, 2024

Desi Murgi Palan: यह मुर्गी दे सकती है सोने के अंडे

Desi Murgi Palan: यह मुर्गी दे सकती है सोने के अंडे,भारत में देसी मुर्गी पालन (Poultry Farming) का व्यवसाय प्राचीन समय से किया जाता है। हमारे भारत देश में तकरी बन 5,000 वर्ष पहले से ही मुर्गी पालन (Poultry Farming) का व्यवसाय की शरुआत की जा चुकी थी। भारत में मौर्य साम्राज्य में मुर्गी पालन व्यवसाय उनका प्रमुख उद्योग रहा है। वह खेती के अलावा मुर्गी पालन (Poultry Farming) भी किया करते थे। उन्नीसवीं शताब्दी के पश्चात् इसे व्यवसाय के रूप में पहचान मिल गयी थी।

हमारे भारत देश में मुर्गी पालन का व्यवसाय भी काफी लोकप्रिय व्यवसाय है। भारत देश में तकरी बन 30 से 35 लाख लोग देसी मुर्गी पालन (Poultry Farming) का व्यवसाय करते है। मुर्गी पालन के व्यवसाय में आप दो तरह की मुर्गी पालन कर सकते है। इसमें सामान्य मुर्गी पालन और देसी मुर्गी पालन शामिल है। देसी मुर्गी पालन को कम जगह में भी करके अच्छी कमाई कर सकते है। इसमें बहुत कम लागत और थोड़ी पूँजी की जरूरत होती है। चीन और अमेरिका के बाद अंडा उत्पादन के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है, और मांस उत्पादन में भारत 5 में स्थान पर है।

Desi Murgi Palan: देसी मुर्गी पालन कैसे करे (How To Rear Native Poultry)

किसान भाई हम आपको बताने वाले है की देसी मुर्गी पालन कैसे करे (How To Rear Native Poultry) कैसे होती है। देशी मुर्गी पालन के लिए किसानो को ज्यादा खर्च की जरुरत नहीं पड़ती है। मुर्गी पालन व्यवसाय सिर्फ 45 से 50 हजार रुपये में शुरू कर सकते है। इस मुर्गी पालन व्यवसाय को हम घर के खली जगह पर आगंन या खेतो में शुरू कर सकते है। किसान भाई बता दें की लाइवस्टॉक मिशन के तहत इस बिजनेस की शुरुआत करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी भी दिया जाता है.

मुर्गी पालन के लिए आहार की बात करे तो सोया, मकई, कपास के बीजों का मिश्रण होता है जिन्हें अक्सर अल्फल्फा के साथ मिलाया गया होता है।आज-कल बाज़ारो में मुर्गियों के लिए आसानी से पोषित आहार मिल जाता है। जिसे खरीद कर मुर्गियों को दे सकते है। लेकिन अगर आप बाजार से आहार नहीं खरीदना चाहते है, तो आप घर पर भी आहार तैयार कर खिला सकते है

Desi Murgi Palan: देसी मुर्गी पालन की जानकारी (Information About Desi Poultry Farming)

किसान भाई देशी मुर्गी ब्रायलर मुर्गियों से बहुत अलग होती है। देशी मुर्गियों की तुलनामे ब्रायलर मुर्गियों से बहुत धीरे विकास होता है। फ्री रेंज चिकन को 1 से 2 किलोग्राम का वजन का समय 4 से 5 महीने लगते है। देशी मुर्गियों ब्रायलर मुर्गियों के मुकाबले बहुत शक्ति शाली और सक्रीय होती है।

देशी मुर्गियों बाज़ार में भी ब्रायलर मुर्गियों कि तुलना में इसकी तीन गुना अधिक मूल्य होता है। देसी मुर्गी कि सबसे ख़ास बात यह होती है की इसमें मुर्गी दाना की सबसे कम ज़रुरत पड़ती है। और बहुत कम जगह में यह आराम से रह जाती हैं। इस लिए देशी मुर्गी को बड़ी आसानी से आप पालन कर सकते हैं।

Desi Murgi Palan: देसी मुर्गी की नस्ले (Native Chicken Breeds)

किसान भाई देसी मुर्गी की नस्ले (Native Chicken Breeds) कई साडी है। जैसे की कड़कनाथ नस्ल (Kadaknath Breed), ग्रामप्रिया नस्ल (Grampriya Breed)असेल नस्ल (Asel Breed) और स्वरनाथ नस्ल (Swarnath Breed) आदि ऐसी कई साडी मुर्गी की नस्ले है। हर मुर्गी की अलग अलग विशेषताएँ होती है। किसान भाई यहाँ पर आपको मुख्य प्रजातियों की जानकारी दी जा रही है। इस लिए इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ना और अंत तक बने रहे।

(1) कड़कनाथ नस्ल (Kadaknath Breed)

इस नस्ल का मूल नाम कलामासी था। जिसका अर्थ है काले मांस वाला पक्षी। कड़कनाथ जाति मूलतः मध्य प्रदेश में रहती है। इस नस्ल का मीट दूसरी नस्लों से अधिक प्रोटीन से भरपूर है। कड़कनाथ नस्ल का मीट कई प्रकार की दवा बनाने में भी प्रयोग किया जाता है, इसलिए यह व्यवसाय के लिए बहुत फायदेमंद है। यह मुर्गियां हर साल 80 अंडे देती है। जेट ब्लैक, पेन्सिल्ड और गोल्डेन इस नस्ल की प्रमुख किस्में हैं।

(2) ग्रामप्रिया नस्ल (Grampriya Breed)

भारत सरकार ने हैदराबाद में अखिल भारतीय समन्वय अनुसंधान परियोजना के तहत ग्रामप्रिया को बनाया है। यह खास तौर पर जनजातीय और ग्रामीण कृषि विकल्पों के लिए बनाया गया है। 12 हफ्तों में इनका वज़न 1.5 से 2 किलो होता है। तंदूरी चिकन बनाने में इनका मीट अधिक प्रयोग किया जाता है। ग्रामप्रिया प्रति वर्ष 210–225 अण्डे देती है। इनके अण्डे भूरे रंग के होते हैं और 57 से 60 ग्राम वजन के होते हैं।

(3) असेल नस्ल (Asel Breed)

यह नस्ल राजस्थान, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में पाई जाती है। यह नस्ल भारत से बाहर भी ईरान में मिलती है, जहाँ इसे अलग नाम से जाना जाता है। इस नस्ल का चिकन उत्कृष्ट है। मानव जाति इस नस्ल के मुर्गों को मैदान में लड़ाते हैं क्योंकि उनका व्यवहार विवादित है। मुर्गी दो से चार किलोग्राम वजन की होती है। इस नस्ल के मुर्गे-मुर्गियों के चमकीले बाल और लंबे पैर होते हैं।

(4) स्वरनाथ नस्ल (Swarnath Breed)

कर्नाटक पशु चिकित्सा और मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, बंगलौर ने स्वरनाथ चिकन की एक नस्ल विकसित की है। घर के पीछे इन्हें पाला जा सकता है। ये 22 से 23 सप्ताह में पूरी तरह से परिपक्व हो जाती हैं और 3 से 4 किलोग्राम वज़न होता है। इनकी प्रतिवर्ष 180–190 अंडे बनाने की क्षमता है।

1000 मुर्गी पालने में कितना खर्चा आता है?

किसान भाई अगर आप 1000 चिक्स के साथ शुरुआत करते हैं तो आपको लगभग 1200 वर्ग फुट के क्षेत्र के लिए, इसका खर्च लगभग 1,50,000 से लेकर 1,80,000 रूपए पड़ेगी। हालांकि इसे खर्च के रूप में मान ने के बजाय इसे एक मुश्त निवेश माना जा सकता है। क्यूंकि एक बार शेड तैयार हो जाने के बाद यह लगभग 10 साल तक आसानी से चलता है। वर्ष में आप इसकी थोड़ी बहुत मरम्मत करते हुए चले।

मुर्गी फार्म में कितनी कमाई है?

किसान भाई यदि आप 1000 मुर्गियों से देशी मुर्गी पालन का बिजनेस शुरू करते हैं तो आप पहले साल में लग भग 3 लाख रुपए का अंडे बेच सकते हैं। साथ ही, एक साल बाद मुर्गियों को चिकन के लिए बेच दिया जाता है। इससे लग भग 3 से 4 लाख रुपए की आमदनी होगी। जब कि कुल खर्च लग भग 1 से 1.5 लाख रुपए होगी और साल भर में 5 से 6 लाख रुपए प्रॉफिट कमा सकते हैं। आगे के सालों में आपकी कैपिटल कॉस्‍ट कम हो जाती है।

मुर्गी पालन के फायदे (Benefits Of Poultry Farming)

  • किसान भाई बाज़ारो में भी देसी मुर्गी की अधिक डिमांड रहती है।
  • देशी मुर्गी के बाजार में इसके अच्छे दाम मिल जाते है।
  • किसान भाई देशी मुर्गी का पालन बैकयार्ड मुर्गी के रूप में भी कर सकते है
  • गरीब किसान देसी मुर्गी पालन को अपनी कमाई का जरिया बना सकता है।
  • किसान भाई देसी मुर्गी पालन कम लागत में भी शुरू कर सकते है।
  • किसान भाई आमदनी बढ़ाने में किसानो का अतिरिक्त साधन बन स

मुर्गी पालन में कितना सब्सिडी मिलता है? (How Much Subsidy Is Available In Poultry Farming?)

किसान भाई मुर्गी पालन के लिए सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जाती है। केंद्र सरकार सामान्य वर्ग को मुर्गी पालन के लिए 25 प्रतिशत सब्सिडी देती है। वहीं, अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग को 33 प्रतिशत तक सब्सिडी मिलती है। यह सब्सिडी बैंक से लिए गए लोन के ब्याज में दी जाती है।

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