12/23/2024

Stone in Gallbladder बिगड़ गया ऑपरेशन,Robotic Surgery से बची महिला की जान रिमूवल सर्जरी हुई सफल

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Stone in Gallbladder: हाल में एक 36 वर्षीय महिला की जटिल गॉल ब्‍लैडर रिमूवल सर्जरी सफल हुई। यह काफी दुर्लभ और जटिल सर्जरी थी जिसे मात्र 45 मिनट में पूरा कर लिया गया।

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रिमूवल सर्जरी सफल हुई

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एक निजी अस्पताल के डॉक्‍टरों ने रोबोटिक की मदद से एक जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा किया है। हाल में एक 36 वर्षीय महिला की जटिल गॉल ब्‍लैडर रिमूवल सर्जरी सफल हुई। यह काफी दुर्लभ और जटिल किस्‍म की सर्जरी थी जिसे मात्र 45 मिनट में पूरा कर लिया गया। मरीज पिछले साल अगस्‍त से गॉलब्‍लैडर में पथरी की समस्‍या से पीड़‍ित थीं। उन्‍हें सर्जरी के एक दिन बाद ही बिना किसी जटिलता के छुट्टी दे दी गई।

बीच में ही छोड़नी पड़ी थी सर्जरी

इससे पहले मरीज दिल्‍ली/एनसीआर के एक और निजी अस्‍पताल में गॉलब्‍लैडर निकालने के लिए लैपरोस्‍कोपी करवाने गई थीं, लेकिन बीच में ही उनकी सर्जरी को अधूरा छोड़ना पड़ा था क्‍योंकि उनका गॉलब्‍लैडर आसपास फैली छोटी और बड़ी आंत में बुरी तरह से फंसा हुआ था। साथ ही बाइल डक्‍ट भी फंसी थी।

रोबोटिक असिस्‍टैंट से गॉलब्‍लैडर निकालने का फैसला

अगले 8-9 महीनों के दौरान दिल्‍ली/एनसीआर के कई अस्‍पतालों में बहुत से अन्‍य विशेषज्ञों से परामर्श के बावजूद मरीज को इस दुर्लभ मामले के चलते लैपरोस्‍कोपिक नहीं करवाने की सलाह दी गई थी, लेकिन मरीज के मुताबिक फोर्टिस शालीमार बाग में डॉ. प्रदीप जैन से मिलने के बाद उनकी समस्या का समाधान निकला। अस्पताल में भर्ती के बाद उनका सीटी स्‍कैन और पैट स्‍कैन किया गया। इसके बाद इलाज कर रही मेडिकल टीम ने रोबोटिक असिस्‍टैंट से उनका गॉलब्‍लैडर निकालने का फैसला किया।

काफी तनाव में थी मरीज

Dr Mansukh Mandaviya on Twitter: "Observed the robotic surgery machine  installed at the Tamil Nadu Government Multi Super Speciality Hospital,  Chennai. The state-of-the-art facility enables surgeons to perform complex  major surgeries with

मामले की जानकारी देते हुए डॉ. प्रदीप जैन ने कहा- जब यह मरीज हमारे पास इलाज के लिए आयी थीं तो काफी तनाव और अवसाद में थीं क्‍योंकि उनके दो छोटे बच्‍चे हैं। उन्‍हें कई अस्‍पतालों ने यह कह दिया था कि अधिक जोखिम के चलते उनकी लैपरोस्‍कोपिक सर्जरी नहीं की जा सकती। उनके गॉलब्‍लैडर की दीवार भी सख्‍त हो गई थी।

कैंसर की आशंका भी थी

इसके साथ ही कैंसर की आशंका भी थी। यदि सचमुच कैंसर होता तो मरीज के बचने की संभावना काफी कम होती। साथ ही, अगर मरीज का समय पर इलाज नहीं किया जाता तो उनका गॉलब्‍लैडर आसपास के अंगों से और चिपक सकता था। हमने सफलतापूर्वक उनकी रोबोटिक सर्जरी की। सच तो यह है कि इस मामले ने रोबोटिक-असिस्‍टैंस से की जाने वाली सर्जरी, खासतौर से इस प्रकार की जटिल और चुनौतीपूर्ण प्रक्रियाओं में काफी संभावनाओं से भरपूर है।

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6.12% आबादी गॉलस्‍टोन्‍स से पीड़‍ित

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भारत में 6.12% आबादी गॉलस्‍टोन्‍स से पीड़‍ित है। इनमें 3% पुरुष और 9.6% महिलाएं शामिल हैं। हालांकि कुछ मामलों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देता, वहीं बहुत से मामले बिना किसी निदान के तब तक छूटे रहते हैं जब तक कोई गंभीर लक्षण सामने नहीं आता। यदि इलाज न किया जाए तो गॉलस्‍टोन बढ़ सकता है और आगे चलकर कैंसरकारी भी हो सकता है। इनकी वजह से बाइल डक्‍ट भी प्रभावित हो सकता है, जो कई प्रकार की जटिलताओं जैसे कोलेडोकोलिटियासिस, कोलंगाइटिस तथा पैंक्रिया‍टाइटिस का भी कारण बन सकता है। गॉलब्‍लैडर कैासर भी काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्‍योंकि इसमें स्‍पष्‍ट रूप से लक्षण दिखाई नहीं देते और निदान में भी देरी हो सकती है।

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